लखनऊ, उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के नामों पर अभी से चर्चा शुरू हो गई है. अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए डीजीपी की तैनाती चुनावी गणित, वोट बैंक के नफा नुकसान को देखकर भी तय होगी.मौजूदा डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी 30 जून को रिटायर हो जाएंगे.
हितेश चंद्र अवस्थी के बाद डीजी रैंक के जिन अफसरों के पास एक साल या उससे अधिक का वक्त का कार्यकाल बचा है, उनमें भारत सरकार में तैनात नासिर कमाल का नाम सबसे ऊपर है. लेकिन चुनावी साल में नासिर कमाल का डीजीपी बनना उत्तर प्रदेश में मुश्किल है.
प्रबल दावेदारी में सबसे आगे एडीजी बीएसएफ 88 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल हैं. मुकुल गोयल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छी पकड़ रखने वाले अधिकारी हैं. सपा सरकार में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर रहने के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने का भी लंबा अनुभव है, लेकिन मुकुल गोयल की सपा नेताओं से नजदीकी की चर्चा उनके लिए अड़चन बन सकती है.
यूपी की बात करें तो प्रदेश में तैनात डीजी रैंक के अफसरों में डीजी एसआईटी और ईओडब्ल्यू का चार्ज देख रहे डॉक्टर आरपी सिंह की दावेदारी मजबूत है. एसआईटी में लंबित पड़ी जांचों को निपटाने, डीएचएफएल घोटाले में की गई कार्रवाई के कारण आरपी सिंह, गृह विभाग और मुख्यमंत्री के खास अफसरों की भी पसंद हैं.डीजी रैंक के अधिकारियों में उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के डीजी आरके विश्वकर्मा सरकार के लिए सबसे मुफीद हो सकते हैं.
आरके विश्वकर्मा ना सिर्फ फील्ड के अच्छे अफसर रहे हैं बल्कि सीसीटीएनएस और 112 जैसी महत्वकांक्षी योजना को लागू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वोट बैंक के लिहाज से भी आरके विश्वकर्मा बीजेपी को सूट करते हैं.
डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान मुख्यमंत्री की पसंद में सबसे ऊपर हैं. डीजी इंटेलिजेंस के तौर पर काम करते हुए डीएस चौहान ने सही समय पर सटीक सूचना देकर सरकार को संकट से बचाया है. डीएस चौहान आईजी एसटीएफ रहे हैं और पुलिसिया फील्ड और क्रिकेट की फील्ड के अच्छे खिलाड़ी हैं.
डीएस चौहान के बाद जिस अफसर की दावेदारी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चाएं है, वह हैं आनंद कुमार. उन्होंने जेल विभाग में कामकाज से बड़ा परिवर्तन किया है. यूपी जेल विभाग की छवि बदली है. मौजूदा डीजी जेल आनंद कुमार भी सरकार, नौकरशाही और मुख्यमंत्री की पसंद में शामिल हैं