नई दिल्ली, भारत मे पेट्रोल की कीमतों मे उतार चढ़ाव का दौर है। कभी पेट्रोल के दाम बढ़ते हैं, तो कभी घटतें हैं। केंद्र सरकार टैक्स घटा कर दाम कम करती है तो अगले ही दिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे कीमतें फिर बढ़ जातीं हैं।
देश में पेट्रोल आज एक अहम मुद्दा बन गया है। जरूरत है इसका गणित समझने की। आखिर क्यों बढ़तें हैं पेट्रोल के दाम, क्या है कारण-
सामान्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से घरेलू बाजार में इनकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन भारत मे पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए सिर्फ कच्चे तेल की कीमतें नहीं, बल्कि इस पर लगने वाला टैक्स भी जिम्मेदार है।
तेल कंपनियों के स्तर पर एक लीटर पेट्रोल करीब 33 रुपये में तैयार हो जाता है। इंडियन ऑयल कंपनी के डाटा के मुताबिक कंपनी ने एक लीटर पेट्रोल को 33 रुपये में डीलर को बेचा। डीलर ने इस पर करीब 4 रुपये अपना कमीशन जोड़ा। इस तरह एक लीटर पेट्रोल की कीमत 37 रुपये हो जाती है।
इसके बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से वसूला जाने वाला टैक्स लगाया जाता है। इसमें केंद्र की तरफ से एक्साइज ड्यूटी और राज्यों की तरफ से वैट वसूला जाता है। ये सब जोड़ने के बाद जो राशि निकल कर आती है, वह है पेट्रोल का मार्केट प्राईस। वैट और एक्साइज ड्यूटी लगने के बाद आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए दिल्ली में करीब 82.26 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।
इसी तरह डीजल पर भी एक्साइज ड्यूटी और वैट लगता है। इस प्रकार केवल 35 रुपये के भीतर जो पेट्रोल और डीजल तेल कंपनियों के स्तर पर तैयार हो जाता है, उस पर एक्साइज और वैट लगने के बाद उसकी कीमतें काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं।