उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में पायी जाने वाली एक ऐसी घास है, जिसे छूने से लोग डरते हैं जी हां, हम बात कर रहें हैं बिच्छू घास की। इससे स्थानी भाषा में कंडाली के नाम से जाना जाता है। अगर ये घास गलती से छू जाए तो उस जगह झनझनाहट शुरू हो जाती है, लेकिन यह घास कई गुणों को समेटे हुए हैं। इस घास से जैकेट, शॉल, स्टॉल, स्कॉर्फ भी तैयार किए जाते है। इससे बने साग का स्वाद लाजवाब है,आइये जानते औषधीय गुणों से भरपूर इस घास के बारे में।
अर्टिकाकेई वनस्पति परिवार के इस पौधे का वानस्पतिक नाम अर्टिका पर्वीफ्लोरा है। बिच्छू घास की पत्तियों पर छोटे-छोटे बालों जैसे कांटे होते हैं। पत्तियों के हाथ या शरीर के किसी अन्य अंग में लगते ही उसमें झनझनाहट शुरू हो जाती है। जो कंबल से रगड़ने से दूर हो जाती है। इसका असर बिच्छु के डंक से कम नहीं होता है। इसीलिए इसे बिच्छु घास भी कहा जाता है।
पहाड़ के व्यंजन जहां स्वाद में भरपूर हैं वहीं बेहद पौष्टिक भी। इस लाजवाब खाने का स्वाद हर किसी की जुबां पर हमेशा रहता है। इसी को देखते हुए अब पहाड़ी खानों की मैदानी क्षेत्रों में भी काफी मांग बढ़ गई है। इसमें से एक है कंडाली का साग। साग जो खाने में इतना स्वादिष्ट कि आज भी भुलाये नहीं भूलता। कंडाली के साग के साथ झंगोरे (एक प्रकार का पहाड़ी भात) का स्वाद लेंगे तो आप हमेशा याद रखेंगे।