मुंबई , कैंसर आधुनिक दुनिया की सबसे भयानक बीमारियों में से एक है। भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर के ही मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। महिलाओं को होने वाले सभी तरह के कैंसर में से लगभग 23 प्रतिशत मामले सर्वाइकल कैंसर के हैं। कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल, मुंबई के कंसल्टेंट, गाइनेकोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजी एवं रोबोटिक सर्जन, डॉ. योगेश कुलकर्णी का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत सर्विक्स, अर्थात् गर्भाशय ग्रीवा से होती है। सर्विक्स, गर्भाशय का निचला संकरा भाग है जो योनि को गर्भाशय से जोड़ता है। इसके लक्षणों में योनि से असामान्य रक्तस्राव, यौनसंबंध बनाने में दर्द या योनि से असामान्य द्रवीय पदार्थ का स्राव शामिल हैं। भारत में हर वर्ष सर्वाइकल कैंसर के लगभग 120,000 नये मामले देखने को मिलते हैं। भारत में कैंसर से होने वाली मौतों का यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है और देश में कैंसर से होने वाली लगभग 10 प्रतिशत मौतें इसकी के चलते होती हैं।
पैप स्मीयर टेस्ट कराएं
कैंसर के लक्षणों एवं संकेतों की जानकारी और नियमित रूप से जांच कराने से इनकी शीघ्र पहचान और सफल उपचार में मदद मिल सकती है।इसलिए इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। यदि शीघ्र पहचान हो जाये, तो सर्वाइकल कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। जागरूकता कार्यक्रम, पैप स्मीयर टेस्ट्स के जरिए जांच और एचपीवी (ह्यूमैन पैपिलोमा वायरस) टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने में मदद मिल सकती है। पैपेनिकोलाउ टेस्ट, जिसे सामान्य तौर पर पैप स्मीयर टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है, और एचपीवी टेस्ट्स के जरिए नियमित परीक्षण से कैंसर-पूर्व कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है और इससे पहले कि यह सर्वाइकल कैंसर के रूप में विकसित हो, उसका उपचार किया जा सकता है। इसलिए, महिलाओं के लिए परामर्श है कि वो 21 वर्ष की आयु के बाद अपने वार्षिक स्वास्थ्य जांच के दौरान नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट कराएं। पैप टेस्ट्स के अलावा, एचपीवी का टीकाकरण सर्वाइकल कैंसर से बचने का सर्वोत्तम तरीका है। एचपीवी वैक्सीन 10-26 आयु वर्ग को कवर करता है और इसे 46 वर्ष की उम्र तक की महिलाओं को दिया जा सकता है।
क्या है उपचार
इसके उपचार के लिए तीन विकल्प उपलब्ध हैं – सर्जरी, रेडियोथेरेपी, केमोथेरेपी और विकल्पों का चुनाव आयु, बीमारी के फैलाव, ट्यूमर के आकार-प्रकार, एवं चरण या माइक्रोस्कोप के जरिए देखे जाने पर इसकी स्थिति पर निर्भर करता है।
वरथाइम रेडिकल हिस्टरेक्टॉमी का सुझाव मानक रूप से उन महिलाओं को दिया जाता है, जो सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में हैं। यह एक जटिल सर्जरी है जिसमें गर्भाशय के आसपास के उत्तकों के साथ गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी में, ‘एंडोरिस्ट’ इंस्ट्रुमेंट्स युक्त रोबोटिक सिस्टम की मदद से कैंसरयुक्त कोशिकाओं को सटीकता से हटाया जाता है। रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी उतनी ही सुरक्षित व कारगर है जितनी कि परंपरागत/लैप्रोस्कोपिक सर्जरी और यह मरीज के लिए लाभदायक भी है, क्योंकि इसमें कोई बड़ा चीरा नहीं होता – इसलिए दर्द कम होता है, मॉर्बिडिटी कम होती है और मरीज तेजी से रिकवर करता है।
सर्वाइकल कैंसर के कुछ मरीजों को प्रजनन क्षमता के बचे रहने की चिंता सताती है और यह चिंता विशेष रूप से उन मरीजों को ज्यादा होती है, जो निस्संतान और प्रजनन आयु वाले हैं। आरंभिक चरण के सर्वाइकल कैंसर के चुनिंदा मामलों में, फर्टिलिटी प्रेजर्वेशन सर्जरी जिसे रेडिकल ट्रैकेलेक्टॉमी के नाम से भी जानते हैं, एक स्वीकार्य उपचार विकल्प है, लेकिन इस उपचार का सुझाव कठोर मानदंड के साथ केवल पात्र मरीजों को ही दिया जाता है। इस प्रक्रिया में, केवल लिंफ नोड्स के साथ प्रभावित गर्भाशय ग्रीवा को निकाला जाता है। गर्भाशय का ऊपरी हिस्सा ज्यों का त्यों छोड़ दिया जाता है और फिर योनि के साथ उसकी सिलाई कर दी जाती है। रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी के जरिए यह सर्जरी आसानी से हो जाती है और इसमें बस मामूली चीरा लगाना पड़ता है। इस तरह के मरीजों को एक वर्ष तक निकट निगरानी में रखा जाता है और यदि सभी चीजें सही-सलामत रहती हैं, तो वो गर्भधारण के लिए प्रयास कर सकती हैं।
आप इस बात को जरूरी याद रखें कि जिन मरीजों में सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है, उनमें से सभी में इसके लक्षण दिखना आवश्यक नहीं है, इसलिए इसकी शीघ्र पहचान एवं सफल उपचार के लिए नियमित रूप से जांच कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है।