छपरा, विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले का शुभारंभ हो गया है। यह मेला पशुओं के खरीद-बिक्री और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।
इस बार मेले की थीम ‘जल, जीवन और हरियाली’ है।
पर्यटन विभाग के मुख्य सांस्कृतिक पंडाल में उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि सोनपुर मेले के विकास के
लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है।
सुशील ने कहा कि इस पर सामान्यतः कोई रोक नहीं है, फिर भी वन विभाग के नियमों के अनुसार संरक्षित पशुओं की बिक्री पर प्रतिबंध है ।
उन्होंने कहा कि बिहार की राजग सरकार ने संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं ।
भारत सरकार ने बिहार के पर्यटन विकास के लिए 600 करोड रूपये उपलब्ध कराया है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सारण जिले के सोनपुर में प्रति वर्ष लगने वाला यह मेला मुख्यतः पशु मेला है जिसमें आमतौर से पशुओं की
खरीद बिक्री होती है ।
32 दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले में मवेशियों एवं गैर प्रतिबंधित पशुओं की बिक्री के अलावा बिहार के अतिरिक्त कश्मीर, पंजाब,
हिमाचल तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊनी कपड़े के व्यापारी भी आए हैं ।
सोनपुर मेला में एक सप्ताह पहले से घोड़ों का आना शुरू हो गया है। 30 हजार से ढाई लाख तक के घोड़े बिकने के लिए आए हैं।
विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र की एक खास पहचान यहां आने वाले पशुओं से भी रही है।
यहां आने वाले पशुओं की संख्या को देखकर ही अंग्रेजों ने इसे एशिया के सबसे बड़े पशु मेला का खिताब दिया था।
भले ही अब मेले में पहले की तुलना में काफी कम संख्या में पशु आते हैं, लेकिन जितने भी आते हैं, वे यहां आने वाले दर्शकों के लिए आकर्षण
का केंद्र रहते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि गज और ग्राह के बीच हुए युद्ध में गज की पुकार पर यहां भगवान श्रीहरि पधारे थे।
ग्राह का वध कर हरि ने अपने भक्त गज की रक्षा की थी। हरि के हाथों मरकर जहां ग्राह को मोक्ष की प्राप्ति हो गई थी वहीं गज को नया जीवन
मिला था। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां गंगा-गंडक में पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं।