विश्व सर्प दिवस: पृथ्वी पर पारिस्थितिकी संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं सांप

कानपुर, सेवा दान फाउंडेशन संस्था जो कि जीवों के संरक्षण पर कार्य करती हैं बताते है कि विश्व सर्प दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है दुनिया भर में सांपों की विभिन्न प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है।धरती इंसानों के साथ-साथ अन्य लाखों जीव-जंतुओं का भी घर है।सांप भी इसी में से एक है, जो सरीसृप श्रेणी के जीव में गिना जाता है।’सरीसृप’ का मतलब है, ऐसा जीव जो रेंगकर चलता हो अधिकतर लोग सांपों को नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं और उनसे डरते हैं, लेकिन यह इतने भी खतरनाक नहीं होते, जितना समझा जाता है।
दुनिया भर में साँपों की 3,500 प्रजातियों में से केवल 600 ही ज़हरीली हैं। यह कुल साँपों का 25 प्रतिशत से भी कम है!
दुनिया भर में सर्प दिवस सांपों के संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने और गलत धारणाओं को दूर करने का एक सबसे अच्छा दिन है।सांप कई दवाओं का स्रोत भी हैं। सांप के काटने के लिए एकमात्र सिद्ध और प्रभावी उपचार – सांप-विरोधी विष, भी सांप के जहर से हासिल होता है।
बहुत से लोग सांपों को दूध पिलाते हैं, ऐसा अक्सर सावन के महीने या नाग पंचमी पर किया जाता है. जब सपेरे सांप लेकर गली मौहल्ले में आते हैं तब लोग पुण्य कमाने के लिए उन्हें दूध पिलाते हैं।
वन्य जीव संरक्षक आशुतोष जी बताते है कि असल में सांप दूध नहीं पीते हैं वे पूरी तरह से मांसाहारी होते हैं, जबकि दूध पिलाने की वजह से उनकी सेहत भी खराब हो सकती है और वे मर भी सकते हैं क्योंकि दूध को पचाने का एंजाइम उनके पेट में नहीं होता है। अब सवाल यह भी उठता है कि तो सांप दूध क्यों पीते हैं? अक्सर सपेरे सांपों को पकड़कर लंबे समय तक प्यासा रखते हैं जब उनके सामने दूध लाया जाता है तो वे पीने लगते हैं. सपेरे के चमत्कार से सभी लोग दंग रह जाते हैं. लेकिन, इस चमत्कार के चक्कर में सांप मरने की कगार पर पहुंचा दिया जाता है. ऐसे में जब सांप के सामने कुछ भी आता है कि तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ भी खा या पी लेता है।एक सपेरों के द्वारा प्रतिवर्ष 4 से 5 सांपों पर क्रूरता कर उन्हें मरने पर मजबूर किया जाता है।
रिपोर्टर-मनोज सिन्हा