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विश्व टॉयलेट सम्मेलन संपन्न, क्या 2030 तक विश्व खुले में शौच से मुक्त हो सकेगा ?

मुंबई,  विश्व टॉयलेट सम्मेलन 2018,  मुंबई में तीसरी बार दो दिन के लिए आयोजित किया गया और कल संपन्न हुए सम्मेलन का विषय था, क्या वर्ष 2030 तक विश्व खुले में शौच से मुक्त हो सकेगा।

सम्मेलन में भाग लेने वाली कंपनी मेरिनो रेस्टरूम के निदेशक मधुसूदन लोहिया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अक्टूबर 2014 में स्वच्छता अभियान शुरू करने के बाद भारत में नवंबर 2017 तक स्वच्छता का दायरा 39 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 65 फीसदी हो गया। इस अवधि में ग्रामीण भारत में 5़ 2 करोड़ घरों में शौचालय का निर्माण किया गया।

उन्होंने कहा कि अार्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार ग्रामीण भारत में स्वच्छता का दायरा वर्ष 2014 में 39 प्रतिशत था जो जनवरी 2018 में बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया। ग्रामीण भारत में अक्टूबर 2014 मे खुले में शौच करने वालों की संख्या 55 करोड़ थी जो जनवरी 2018 में घटकर 25 करोड़ रुपये हो गयी।

 लोहिया ने कहा कि पूरे भारत में 296 जिले और तीन लाख सात हजार से अधिक गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। इसके साथ ही सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, दमन-द्वीव और चंडीगढ़ को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है।

वर्ल्ड टॉयलेट के संस्थापक जैक सिम ने कहा कि खुले में शौच की समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है लेकिन खुले में शौच से मुक्ति पाने के लिए सभी को सहयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के जरिए पूरे विश्व को स्वच्छता की मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए एक गंभीर संदेश दिया गया है।

महाराष्ट्र के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने वीडियो संदेश के जरिए अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र 100 प्रतिशत खुले में शौच से मुक्त हो गया है और ग्राम पंचायतों को स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार पुरस्कार देती है। सरकार ने स्वच्छ जल के लिए भी बहुत काम किया है जिससे रोजगार का सृजन और आर्थिक विकास हुआ है।