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योगी सरकार ने निरस्त की 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती….

सलखनऊ, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर अल्पसंख्यकों से जुड़े प्रतीकों की अनदेखी के आरोप अक्सर लगते रहे हैं. फिर वो ऐतिहासित इमारतें हो या भाषा. इस बीच सूबे की सरकार ने पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग में आई 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती रद्द कर दी है. सरकार की तरफ से तर्क दिया गया है कि विभाग में पहले से ही तय मानक से ज्यादा उर्दू शिक्षक है लिहाजा अब और शिक्षकों की जरूरत नहीं है.

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 सरकार का कहना है कि प्राथमिक स्कूलों में मानक से कहीं ज्यादा संख्या में उर्दू शिक्षक तैनात हैं. इसलिए अब और उर्दू शिक्षकों की जरूरत नहीं है. बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने बताया कि प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू विषय के करीब 87 हजार विद्यार्थी हैं, जबकि उर्दू विषय के16 हजार से अधिक शिक्षक हैं.

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डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि अखिलेश सरकार ने 15 दिसंबर 2016 में चार हजार उर्दू सहायक अध्यापकों की भर्ती निकाली थी. 7500 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. नई सरकार के गठन के बाद 22-23 मार्च 2017 को प्रदेश भर में उर्दू शिक्षक भर्ती के लिए काउंसलिंग की गई. 23 मार्च 2017 को ही योगी सरकार ने सहायक अध्यापक और उर्दू विषय के अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी. करीब एक वर्ष तक सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया.

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