झांसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक भवन का शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश को खेती को अनुसंधान से जोड़ने का लगातार प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए युवा वैज्ञानिकों को निरंतर काम करना होगा।
यहां कृषि विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद जनप्रतिनिधि, किसान और स्टाफ के लोगों के अलावा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित देश भर के 101 संस्थान और 75 कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों और लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीज से लेकर बाजार तक खेती को टेक्नोलॉजी से जोड़ेने का लगातार काम किया जा रहा है और इसमें अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालयों की प्रमुख भूमिका है। बुंदेलखंड में किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने में इस कृषि विश्वविद्यालय की प्रमुख भूमिका है। खेती के आधुनिकीकरण के लिए युवा वैज्ञानिकों को लगातार काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले छह साल से देश में कृषि के आधुनिकीकरण के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। अगर बात करें तो छह साल पहले देश में एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय था और आज तीन तीन केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) झारखंड, आईएआरआई असम और बिहार के मोतीहारी में अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गयी है। देश में सोलर पंप, सोलर ट्री ,स्थानीय जरूरत के बीज, माइक्रो इरिगेशन आदि के क्षेत्र में एकसाथ काम हो रहा है । इन सभी कार्यों को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने और बुंदेलखंड के किसानों को इससे जोड़ने में आपकी भूमिका अहम है।
कृषि के विशेषज्ञों और जानकारों को साथ ही कृषि से जुड़ी शिक्षा को स्कूल के स्तर तक ले जाना जरूरी है । इसे गांव के स्तर पर लागू करना होगा ताकि देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम प्रभावी तरीके से किया जा सके। बुंदेलखंड के क्षेत्र में कई समस्याएं हैं लेकिन इस वीर भूमि के लोगों ने हर समस्या का डटकर मुकाबला किया है और आज भी कोरोना महामारी के खिलाफ यह क्षेत्र मजबूती से लड़ रहा है। इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है ।बुंदेलखंड की 10 लाख बहनों को मुफ्त गैस सिलेंडर मुहैया कराये गये हैं । मैं जब पहले झांसी आया था तो मैंने यहां की बहनों से कहा था कि पिछले पांच साल शौचालय के लिए थे और आने वाले पांच वर्ष पानी के लिए होंगे।
बुंदेलखंड की पानी की समस्या का समाधान करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। एक ओर पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है तो दूसरी ओर गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत सैंकडों तालाबों को ठीक करने और नये तालाब बनाने का काम किया जा रहा है। इस क्षेत्र मे पानी की बड़ी समस्या है और केन -बेतवा लिंक के समाधान में बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर लगातार काम किया जा रहा है। एक बार यहां की पानी की समस्या का समाधान हो जाऐ तो इस क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल जायेगी।
डिफेंस कॉरिडोर और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद वीरों की भूमि झांसी रक्षा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का एक बड़ा क्षेत्र बनेगा। “ जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान” का मंत्र यहां गूंजेगा । इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास को सामने लाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है । प्रधानमंत्री ने इस दौरान बुंदेलखंड में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का जिक्र किया और सभी को कोरोना काल में “ दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी ” का मंत्र भी दिया।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने पांच विद्यार्थियों के साथ परिचर्चा कर कृषि के क्षेत्र में युवाओं के रूझान और उनके सामने आने वाली परेशानियों को जानने का प्रयास किया। इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद कुमार ने प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ उपस्थित जन प्रतिनिधियों और अन्य का स्वागत किया। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के अधिनियम द्वारा सन् 2014 में देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की तरह बुंदेलखंड की वीरभूमि झांसी में कृषि और कृषि संबंधित विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करने में अनुसंधान करने, विस्तार शिक्षा के कार्यक्रम और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गयी थी।
यह विश्वविद्यालय 300 एकड में फैला है जो न केवल बुंदेलखंड बल्कि देश के अन्य राज्यों के कृषि के छात्रों को अनुसंधान एवं कृषि शिक्षा के साथ किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां उन्नत बीज भी उपलब्ध हो रहा है। पशु चिकित्सा एवं मत्सय महाविद्यालय की स्थापना भी इसी विश्वविद्यालय के तहत दतिया में की जा रही है। दलहनी एवं तिलहनी फसलों के अनुसंधान का यह विशिष्ट केंद्र है । विश्वविद्यालय में दो साल में शैक्षणिक एवं प्रशासनिक भवन का निर्माण कार्य पूरा किया गया जिसमें 19 स्मार्ट क्लासरूम के साथ विद्यार्थियों के लिए 23प्रयोगशालाएं भी उपलब्ध हैं। इस विश्वविद्यालय से गुणवत्तापूर्ण शिक्षाप्राप्त छात्रों के लिए स्वरोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे।