लखनऊ, मायावती सरकार द्वारा दलित नेताओं बीआर आंबेडकर और कांशीराम की स्मृति में बनवाए गए पार्कों और स्मारक स्थलों में योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 11वीं सदी के राजा सुहेलदेव की मूर्ति लगवाने का निर्णय लिया है। भाजपा सरकार ने भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल (अंबेडकर स्मारक) के अंदर और बाहर दोनों जगह राजा सुहेलदाव की मूर्तियां लगवाने का फैसला किया है।सहारनपुर से लेकर मिर्जापुर तक मूर्तियां तोड़ना, विचारधारा खत्म करने का प्रयास: राज बब्बर
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बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अप्रैल 2009 में लखनऊ में अंबडेकर स्मारक स्थल और पार्क बनवाकर उनमें विभिन्न महापुरुषों की सात फीट ऊंची संगमरमर की मूर्तियां लगवाई थीं।योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजा सुहेलदेव की 16-18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा अंबेडकर स्मारक स्थल के अंदर लगवाने का निर्णय लिया है।
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इन स्मारक स्थलों में अंबेडकर, कांशीराम और खुद मायावती के अलावा ज्योतिबा फुले, बिरसा मुंडा, नारायण गुरु, छत्रपति साहुजी महाराज, कबीर दास, संत रविदास और गुरु घासीदास की मूर्तियां लगवाई थीं। अब इन पार्कों और स्मारक स्थलों में योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फुले, दक्ष प्रजापति, गुहराज निषाद (ओबीसी जातियों से जुड़े), महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान (अगड़ी जातियों से संबंधित) की मूर्तियां भी लगाई जाएंगी।
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हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार ने मायावती सरकार द्वारा बनवाए गए दलित स्मारक स्थलों के रखरखाव और मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह बीजेपी की एक सोंची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। दरअसल, बीजेपी, दलित राजनीति से मायावती के वर्चस्व को समाप्त कर, अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती है।
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मायावती सरकार द्वारा बनवाए गए दलित स्मारक स्थल आज भी , यूपी ही नही देशभर के दलितों, पिछड़ों के लिये श्रद्धा के केन्द्र हैं। विभिन्न अवसरों पर इन स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है, और सत्ता न रहने पर भी , वंचित समुदाय मायावती के द्वारा किये गये इन कार्यो के लिये अपनी कृतग्यता प्रगट करता है। एेसी स्थिति मे बीजेपी के लिये ये जरूरी हो जाता है कि इन स्मारक स्थलों के माद्यम से वह दलित समुदाय के दिलों मे अम्बेडकरवाद और कांशीराम के एजेण्डे के स्थान पर हिंदूवाद का एजेंडा स्थापित करे।
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इसके लिये भाजपा सरकार ने पहल करते हुए सबसे पहले 11वीं सदी के राजा सुहेलदेव की मूर्ति लगवाने का निर्णय लिया है। पिछले कुछ सालों में भाजपा राजा सुहेलदेव से जुड़े कई कार्यक्रमों में शिरकत करती रही है। पिछले महीने विश्व हिंदू परिषद द्वारा गाजी सैयद सलार मसूद पर राजा सुहेलदेव की विजय को “हिंदू विजयोत्सव” के तौर पर मनाया। उस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्य नाथ भी शामिल हुए थे। इसलिये राजा सुहेलदेव बीजेपी के लिये सर्वाधिक उपयुक्त हैं।
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चूंकि श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव राजभर समुदाय से थे। राजभर समुदाय अब अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है। इसलिये बसपा इसका विरोध भी नही कर पायेगी। इसके बाद यह स्थान अगड़ी जातियों के महापुरुषों की भी मूर्तियां लगवाने के लिये खुल जायेगा जोकि अभी संभव नही होता।
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