लखनऊ, प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय कुमार मिश्रा को मंत्रिमण्डल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सिफारिश के बाद राज्यपाल राम नाईक ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। विजय मिश्रा 2012 में गाजीपुर सदर सीट से विधायक चुने गए थे। वह धर्मार्थ कार्य विभाग से स्वतंत्र प्रभार से राज्यमंत्री थे। इस बार अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी से टिकट नहीं दिया था। इसके बाद विजय मिश्रा ने सपा और मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए बसपा का दामन थाम लिया था।
हालांकि मुख्यमंत्री की तरफ से इस पर सहमति नहीं आने पर राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया था। शनिवार को अखिलेश यादव ने विजय मिश्रा को मंत्रिमण्डल से बर्खास्त करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश की थी, जिसे रविवार को स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। इससे पहले बसपा में शामिल होते समय विजय मिश्रा ने कहा था कि वह मंत्री परिषद और सपा से इस्तीफा देकर आये हैं।
उन्होंने अखिलेश यादव को ब्राह्मण विरोधी बताते हुए कहा था कि वह अन्दर से ब्राह्मणों से घृणा करते हैं। विजय मिश्रा ने कहा था कि अखिलेश यादव की वजह से पहले राजाराम पाण्डेय पार्टी छोड़कर चले गए। इसके बाद शिवाकांत ओझा, पवन पाण्डेय, मनोज पाण्डेय को अपमानित किया और उन्होंने भी सपा से दूरी बना ली। विजय मिश्रा ने कहा था कि उन्होंने वाराणसी से लेकर गोरखपुर तक एक सूत्र में ब्राह्मण समाज को जोड़ने का काम किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हवाला देते हुए कहा था कि मुझसे अंत तक कहा जा रहा था कि आपके नाम पर विचार हो रहा है और आपको चुनाव मैदान में उतारा जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। विजय मिश्रा ने कहा था कि सपा में मंत्रियों से भी संवादहीनता की स्थिति है। मुझे टिकट नहीं देने का कारण तक नहीं बताया गया। उन्होंने कहा था कि पूर्वांचल से सपा का सफाया होना तय है।