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अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर रामायण की भव्य प्रस्तुति

नयी दिल्ली,भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में हेरिटेज इंडिया फाउंडेशन और लोक अभियान के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ पर रामायण की प्रस्तुति के साथ ही एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कला, संस्कृति और पौराणिकता का अनूठा संगम था, जो वाजपेयी जी की विरासत को यादगार श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित रहा।

कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने दर्शकों के साथ रामायण पर आधारित एक मनमोहक संगीतमय नृत्य नाटिका का आनंद लिया। इस नाटिका का निर्देशन उर्वशी डांस म्यूजिक आर्ट एंड कल्चर सोसायटी की रेखा मेहरा ने किया, जबकि इसे प्रसिद्ध गुरु अजय भट्ट और आम्रपाली भंडारी ने कोरियोग्राफ किया। इस भव्य प्रस्तुति ने श्री राम के पौराणिक जीवन यात्रा को एक रंगारंग और अद्भुत रूप में दर्शाया।

पचास से अधिक प्रतिभाशाली कलाकारों द्वारा प्रस्तुत इस नाटिका में पारंपरिक परिधानों और साज-सज्जा का विशेष ध्यान रखा गया। राम और सीता के विवाह के दौरान पीले रंग की उल्लासपूर्ण वेशभूषा से लेकर रावण के दरबार में दासियों की भव्य पोशाक तक, हर दृश्य को यथार्थपूर्ण बनाने के लिए वेशभूषा को अत्यंत सोच-समझकर तैयार किया गया। आठ फुट लंबे धनुष, हस्तनिर्मित आभूषण, और विशेष मुकुट जैसे अद्वितीय प्रॉप्स ने प्रस्तुति को और भी भव्य बना दिया। सफेद मोर पंख, स्वर्ण मृग का हेडगियर, और दीपों की रोशनी ने आध्यात्मिक वातावरण को और गहराई प्रदान की।

इस प्रस्तुति को एक यादगार अनुभव बनाने के लिए हाइड्रोलिक स्टेज और उन्नत प्रोजेक्शन तकनीक का भी उपयोग किया गया, जिसने पूरे नाटक को एक दृश्य चमत्कार में बदल दिया। इन तकनीकों की मदद से रामायण की कालातीत कथा को केवल 1.5 घंटे में संक्षेपित किया गया, जिसमें इस महाकाव्य की दार्शनिक गहराई और सांस्कृतिक समृद्धि को बरकरार रखा गया।

नाटक की कथा राम के जन्म और उनकी अद्भुत धनुर्विद्या प्रदर्शन से प्रारंभ होकर, सीता के स्वयंवर में शिव धनुष भंग करने के दृश्य पर गूंजते तालियों के साथ आगे बढ़ी। राम के वनवास, शूर्पणखा के साथ हुए संघर्ष, और रामसेतु के निर्माण के भव्य दृश्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यह आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी जी के व्यक्तित्व और उनके सांस्कृतिक दृष्टिकोण का प्रतीक था, जो भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर ले जाने के उनके प्रयासों की याद दिलाता है।