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अब जवान तेज बहादुर यादव को मिल रही है, सच बोलने की सजा…

tej-bahadur-yadav_650x400_81483986022नई दिल्ली, बीएसएफ के कांस्टेबल तेज बहादुर यादव ने पहला सरल सा सवाल पूछा कि क्या ऐसा खाना खाकर क्या कोई जवान ग्यारह घंटों की कठिन ड्यूटी कर सकता है? और दूसरा सवाल पूछा कि सरकार से राशन तो आता है जवानों के लिए, लेकिन बीच में ही ये गायब हो जाता है, क्यों? और उसने यह सवाल केवल अपने लिये नही किया, इसके पीछे उन लाखों जवानों का दर्द छिपा है जो रोज यह दर्द सह तो रहें हैं, लेकिन नौकरी जाने के डर से या अनुशासन मे बंधे होने के कारण अपना दर्द बयां करने का साहस नही कर पा रहें हैं।

एेसी स्थिति मे, सरकार का क्या फर्ज बनता है? सच बयां करने वाले जवान की समस्याओं को हल किया जाय, दोिषयों के खिलाफ कार्यवाही की जाये ताकि हमारे जवानों को कम से कम भरपेट खाना तो मिल सके या सच बयां करने वाले जवान का चरित्र हनन किया जाय, उसको इतना प्रताड़ित किया जाय कि कोई दूसरा मुंह खोलने का साहस न कर सके।

बीएसएफ के कांस्टेबल तेजबहादुर यादव का वीडियो वायरल हुआ तो सबसे ज्यादा हलचल दिल्ली की रायसीना हिल्स में मची। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वीडियो में कितनी सच्चाई है, इसकी जांच करने आदेश दे दिए और बीएसएफ ने भी तत्परता से गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी है। जानिये क्या कार्यवाही हुई।

इस  पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि मैंने बीएसएफ, जवान के पोस्ट किए वीडियो को देखा है। गृह सचिव को मामले की जांच और कार्रवाई करने को कहा है। वहीं बीएसएफ के आईजी, डी के उपाध्याय ने कहा कि बीएसएफ अपने जवानों के हितों के लिए संवदेनशील है। प्राथमिक जांच में कोई सच्चाई नहीं मिली है। फिर भी जांच होगी और कार्रवाई भी होगी।

जम्मू रेंज के आईजी बीएसएफ डीके उपाध्याय ने कहा कि तेज बहादुर का सर्विस रिकार्ड अच्छा नहीं रहा है।  तेजबहादुर पर चार साल पहले कोर्ट मार्शल भी चला था। उस पर एक सीनियर पर हमला करने का आरोप था। मैं हैरान हूं कि उसने यह वीडियो अपलोड कैसे किया। वैसे उसका ट्रैक रिकार्ड अच्छा नहीं है। बीएसएफ में शिकायत करने के अंदरुनी रास्ते भी हैं। उनका इस्तेमाल किए बगैर सीधा फेसबुक पर वीडियो पोस्ट करना जवान की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

तेज बहादुर यादव वीडियो बनाते वक्त कश्मीर सीमा पर अपने देश की रक्षा कर रहे थे। साहस दिखा कर तेज बहादुर ने सोशल मीडिया के जरिए उन्होने वो सच्चाई दिखा दी जो आज तक छुपी थी। उन्हे उम्मीद थी कि उनके इस खुलासे को सरकार गंभीरता से लेगी और दोषी अधिकारी पर एक्शन लेंगी। इससे उनके साथियों को राहत मिलेगी क्योंकि तेज बहादुर, 31 जनवरी को वॉलेंटरी रिटायरमेंट पर जा रहे हैं। लेकिन हुआ उल्टा,तेज बहादुर यादव पर आफतों की शुरूआत हो गई, जांच दोषी अफसरों की नही इस जवान की शुरू हो गई। उसकी छवि पर कीचड़ उछाला जाने लगा। तेज बहादुर का ट्रांसफर कर दिया गया और तेज बहादुर के मुताबिक उनको अब प्लंबर का काम सौंपा गया है।

एक जवान ने बेबस होकर अपनी आवाज उठायी तो उसके अफसरों को अचानक उसमे, एक शराबी, अनुशासनहीन, दिमाग से हिला हुआ आदमी दिखने लगा । तेज बहादुर यादव ने बड़ा रिस्क लेकर देश को बताया कि सीमा पर पोस्टिंग के दौरान किस घटिया स्तर का खाना मिलता है। इस बहादुरी के बदले आज बीएसएफ हर तरह से तेज बहादुर की इमेज खराब करने में लगी है। क्या तेज बहादुर यादव को सच बोलने की सजा दी जा रही है। और अगर उनका काम और रिकॉर्ड इतना खराब था तो उनको सर्विस से पहले ही  क्यों नही हटाया गया। जबकि तेजबहादुर का कहना है कि अगर उसका रिकॉर्ड इतना खराब था तो उसे १४ बार अवार्ड कैसे मिला है। वह कैसे गोल्ड मेडलिस्ट है।

और सबसे बड़ा सवाल ..खराब खाने के आरोप का तेज बहादुर यादव के रिकॉर्ड से क्या लेना देना। तेज बहादुर का वीडियो यह तो कह रहा है कि सेना और सुरक्षा बलों की बंद दुनिया को कुछ पारदर्शी करने की जरूरत है।  यहां मामला सिर्फ तेज बहादुर का नहीं है, उन तमाम जवानों का हौसला और भरोसा बनाए रखने का है जो अपनी जान जोखिम पर रखकर देश की सुरक्षा के लिए बहुत विषम हालात में काम कर रहे हैं। इसलिये यह जरूरी हो जाता है कि इस वीडियो में अगर सच्चाई है तो कार्रवाई हो और हालात सुधारे जाएं।

 

 

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