वित्त, कॅारपोरेट मामले और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर मंे अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी संभव नहीं है लेकिन इस अध्ािकार का इस्तेमाल करने वालांे को लक्ष्मणरेखा पार नहीं करनी चाहिए।
अरुण जेटली ने आकाशवाणी द्वारा आयोजित सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान ंे ‘आज के मीडिया परिपेक्ष्य मंे अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी संभव है?’’ मंे कहा कि ”हम ऐसी दुनिया मंे रह रहे हंै जहां मौलिक अध्ािकारांे का विस्तार हो रहा है। तकनीक की उपलब्ध्ाता के कारण अध्ािकारांे का दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। ऐसे मंे सवाल उठता है कि क्या राज्य को हस्तक्षेप करना चाहिए। जहां तक संभव हो नहीं।“
उन्हांेने कहा कि सवाल उठता है कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी के अध्ािकार का उपयोग करने वाले को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए। पिं्रट और इलेक्ट्रॅानिक मीडिया ने काफी हद तक ऐसा कर लिया है लेकिन सोशल मीडिया मंे ऐसी पांबदी नहीं है। भारत जैसे बहुध्ाार्मिक और बहु सांस्कृतिक देश मंे कई मुद्दांे से लोगांे की भावनाएं जुड़ी होती है। ऐसे मंे अगर कोई लक्ष्मणरेखा पार करता है तो हमंे क्या करना चाहिए। ये सवाल आने वाले दिनांे मंे भी हमारे सामने बने रहंेगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि भारत मंे ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त कानून हंै लेकिन दुर्लभतम मामलांे मंे नियंत्रण की जरूरत है और ऐसे मंे संविध्ाान के अनुच्छेद 19 (1) की भूमिका अहम है जिसमंे व्यापक जनहित मंे आजादी की अभिव्यक्ति पर पाबंदी का प्रावध्ाान है।