नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगस्त की शुरुआत से उन्हें देश के हर कोने से तिरंगा विभिन्न रूप में रहा है जिसके कारण उनका कार्यालय एक तरह से तिरंगामय हो गया है और उन्हें लगता है कि देशभर में आजादी के अमृत पर्व पर अमृत धारा बह रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि अगस्त में मिले पत्रों, संदेशों और कार्ड्स से उनका कार्यालय तिरंगामय हो गया है। उन्हें ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो जिस पर तिरंगा न हो या तिरंगे और आज़ादी से जुड़ी बात न हो। बच्चों ने, युवा साथियों ने तो अमृत महोत्सव पर खूब सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर भेजे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,“ऐसा लगता है कि आज़ादी के इस महीने में हमारे पूरे देश में, हर शहर, हर गाँव में, अमृत महोत्सव की अमृतधारा बह रही है। अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं।”
उन्होंने कहा “यह सब देख कर के एक चेतना की अनुभूति हुई है। इतना बड़ा देश,इतनी विविधताएं लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई तो हर कोई एक ही भावना में बहता दिखाई दिया। तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर लोग खुद आगे आए। हमने स्वच्छता अभियान और वैक्सीनेशन अभियान में भी देश की शक्ति को देखा था। अमृत महोत्सव में हमें फिर देशभक्ति का वैसा ही जज़्बा देखने को मिल रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा,“ आजादी के इस अमृत महोत्सव पर हमारे सैनिकों ने ऊँची-ऊँची पहाड़ की चोटियों पर, देश की सीमाओं पर, और बीच समंदर में तिरंगा फहराया। लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग नवेन्वेषी आईडिया निकाले। उन्होंने कहा ” युवा साथी, कृशनील अनिल जी एक पज़ल आर्टिस्ट हैं और उन्होंने रिकॉर्ड समय में खूबसूरत तिरंगा मोसियक आर्ट तैयार की है। कर्नाटक के कोलार में लोगों ने 630 फीट लम्बा और 205 फीट चौड़ा तिरंगा पकड़कर अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया। असम में सरकारी कर्मियों ने दिघालीपुखुरी वार मेमोरियल में तिरंगा फहराने के लिए अपने हाथों से 20 फीट का तिरंगा बनाया। इसी तरह, इंदौर में लोगों ने मानव शृंखला के जरिए भारत का नक्शा बनाया।” उन्होंने कहा,“ चंडीगढ़ में युवाओं ने विशाल मानव तिरंगा बनाया। ये दोनों ही प्रयास गिनीज़ बुक के रिकार्ड्स में भी दर्ज किये गए हैं।
इस सबके बीच, हिमाचल प्रदेश की गंगोट पंचायत से एक बड़ा प्रेरणादायी उदाहरण भी देखने को मिला। यहाँ पंचायत में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया।”