श्रीनगर, जम्मू कश्मीर सरकार ने एक महिला द्वारा सड़क पर बच्ची को जन्म देने की घटना के शनिवार को जांच के आदेश दिए। आरोप है कि घाटी के प्रमुख प्रसूति देखभाल अस्पताल ने महिला को रात में अपने यहां नहीं रखा। उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की रहने वाली महिला को सड़क पर बच्ची को जन्म देना पड़ा, लेकिन परिवार शिशु को बचा नहीं पाया।
कश्मीर के मंडलीय आयुक्त बशीर खान ने तथ्यात्मक स्थिति जानने के लिए जांच के आदेश दिए क्योंकि इस तरह की खबरें हैं कि लाल देद अस्पताल में गर्भवती महिला को अस्पताल में प्रवेश नहीं करने दिया। खान ने जांच आदेश में कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर एक खबर पोस्ट की गई है जो कहती है कि कुपवाड़ा जिले के दूर-दराज़ इलाके की महिला को सड़क किनारे बच्ची को जन्म देना पड़ा, क्योंकि श्रीनगर में स्थित घाटी के सबसे बड़े प्रसूति अस्पताल, सरकारी एल डी अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला को रात में अस्पताल में रुकने की इजाजत नहीं दी और न उन्हें बृहस्पतिवार को भर्ती किया।’’
कश्मीर के मंडलीय आयुक्त ने श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य/डीन से मामले की जांच करने और दो दिन में रिपोर्ट देने को कहा। आदेश में कहा गया है, ‘‘तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के लिए इस खबर की अच्छी तरह से जांच करने की जरूरत है, ताकि इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार पाए जाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।’’महिला के रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने शनिवार को यहां प्रेस एन्क्लेव इलाके में विरोध मार्च निकाला और अस्पताल तथा डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कुपवाड़ा में भी प्रसूति देखभाल अस्पताल स्थापित करने की मांग की।
यह घटना बृहस्पतिवार की है जब कुपवाड़ा के कालारूस इलाके के मूरे गांव की रहने वाली महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। महिला के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उन्हें कालारूस के एक अस्पताल में ले जाया गया जहां से उन्हें कुपवाड़ा के अस्पताल में रेफर किया गया। इस अस्पताल ने उन्हें श्रीनगर के लाल देद अस्पताल रेफर किया। उन्होंने बताया कि लाल देद अस्पताल में महिला को कुछ घंटे के लिए निगरानी में रखा गया, लेकिन इसके बाद, डॉक्टरों ने अस्पताल में महिला को कथित रूप से रखने से इनकार कर दिया।
परिवार के सदस्य ने बताया, ‘‘हमसे अस्पताल से जाने के लिए कहा गया। एक डॉक्टर ने हमारे साथ बदसलूकी भी की। हमारे अस्पताल से रवाना होने के बाद महिला को बहुत तेज दर्द होने लगा और उन्होंने सड़क पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। नवजात की तुरंत ही मौत हो गई।’’
अस्पताल के चिकित्सक अधीक्षक शब्बीर सिद्दीकी ने बताया कि डॉक्टरों को कड़ी हिदायत दी हुई है कि दूर-दराज़ के इलाके के मरीजों को रात में अस्पताल में ही रोकें। उन्होंने कहा, ‘‘हम तथ्यों का पता लगा रहे हैं। अगर किसी भी तरह की लापरवाही हुई है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।’’इस बीच, राज्य की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि राज्यपाल के तहत काम कर रहे राज्य के अधिकारी इस दुखद घटना पर तत्काल कार्रवाई करेंगे।’’ पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर कहा, ‘‘यह दुखद है कि एक महिला को उस अस्पताल से भेज दिया गया जो कश्मीर के महान संत लाल देद के नाम पर है। उन्होंने बाद में जमा देने वाली ठंड में बच्ची को जन्म दिया। माता-पिता के दर्द को कोई महसूस नहीं कर सकता है।’’जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जे ए मीर ने घटना पर गंभीर चिंता जताते हुए इसे शर्मनाक, दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।’’