रामपुर, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां को एक और बड़ा झटका लगा है। अब उनका तोपखाना रोड स्थित कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल की लीज निरस्त हो गई है।
इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से मंगलवार को कैबिनेट बैठक में लीज निरस्तीकरण का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। साथ ही यह जमीन माध्यमिक शिक्षा विभाग को वापस मिल जायेगी, जिसके बाद दोनों भवनों को खाली कराया जाएगा।
आजम खां की मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं। ताजा मामला आजम खां के तोपखाना स्थित कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल से जुड़ा है। दरअसल, जिस बिल्डिंग में स्कूल और कार्यालय संचालित हैं, उनमें पहले जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी और राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संचालित होते थे, लेकिन, सपा सरकार के दौरान आजम खां ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और ये भवन मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए वर्ष 2012 में अपने नाम पट्टा करा लिया।
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने इसकी शिकायत की थी। उनका आरोप था कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के पट्टा विलेख के बिंदु संख्या-7 में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि आवंटित भूमि पर एक वर्ष के भीतर विश्वविद्यालय के संचालन के लिए निर्माण कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रयोजन के लिए भूमि का प्रयोग नहीं किया जा सकता और यदि ऐसा होता है, तो यह पट्टा निरस्त हो जाएगा।
उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की थी, जिसमें आरोप था कि मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए आवंटित भूमि पर रामपुर पब्लिक स्कूल और समाजवादी पार्टी के कार्यालय का संचालन होता है, जो आवंटन नियमों के खिलाफ है। इससे शासन को वित्तीय क्षति पहुंची है।
इस मामले में मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी। जांच में सभी आरोप सही पाए गए। जिस पर जिलाधिकारी ने पटटा निरस्त करने की संस्तुति की है। मंगलवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को आवंटित की गई 3825 वर्ग मीटर भूमि की लीज का निरस्तीकरण का प्रस्ताव रखा गया। सर्वसम्मति से प्रस्ताव पर मुहर लग गई। अब यह जमीन माध्यमिक शिक्षा विभाग को मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
आजम खां ने जिस राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को खाली कराकर अपना (समाजवादी पार्टी) का कार्यालय बनाया था, उस विद्यालय में उस वक्त करीब चार बच्चे पढ़ते थे। यह बात वर्ष 1990 के दशक की है लेकिन आजम खां ने अपनी राजनीति को चमकाने के लिए 1995 में विद्यालय के भवन को खाली करा लिया और जौहर ट्रस्ट के नाम करा लिया।
आजम खां ने अपने राजनीतिक रसूख के चलते सिर्फ सौ रुपए सालाना किराए पर करोड़ों रूपये की जमीन अपने ट्रस्ट के नाम करा ली। बात वर्ष 2012 की है। तब सूबे में सपा की सरकार थी और आजम खां उस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। तब आजम खां के पास नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण जैसे सात शक्तिशाली विभाग थे। उनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उनकी बात नहीं टाल सकते थे और तब सरकार ने मजबूरी में यह जमीन जौहर ट्रस्ट को दे दी।
आजम खां को आवंटित जमीन की कीमत करीब सौ करोड़ रूपये है। दरअसल, यह जमीन किले को जाने वाली रोड के किनारे स्थित है, जिसका फ्रंट करीब आधा किलोमीटर है। जमीन का कुल रकबा 3825 वर्ग मीटर है। राजस्व विभाग के अफसरों की मानें तो जमीन की वास्तविक कीमत करीब 100 करोड़ रूपये है, जिसको सपा सरकार ने मात्र 100 रुपए सालाना पर आजम खां की जौहर ट्रस्ट को आवंटित किया हुआ था ।
गौरतलब है कि आजम खां अपने पुत्र अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में सीतापुर जेल में बंद हैं, जबकि, उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम हरदोई और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा रामपुर जेल में बंद हैं।
नगर विधायक आकाश सक्सेना ने बताया कि जौहर ट्रस्ट की लीज निरस्त करने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। आजम खान ने किस तरह से अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए सरकार की करोड़ो रूपए की जमीन अपने ट्रस्ट के नाम करा ली थी। आज आजम का काला चिट्ठा जनता के सामने है।