जयपुर/पटना, आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य की आरक्षण नीति की समीक्षा का समर्थन करने संबंधी टिप्पणी से विवाद उत्पन्न हो गया है।
वैद्य ने कहा कि यहां तक कि संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने भी इसके हमेशा जारी रहने का समर्थन नहीं किया था। वैद्य की यह टिप्पणी पांच राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। वैद्य ने जयपुर साहित्य महोत्सव में शुक्रवार को एक परिचर्चा में कहा, अनुसूचित जातिः अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का विषय एक अलग संदर्भ में आया था। यह उनसे हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए संविधान में मुहैया कराया गया था। वह हमारी जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा, इसलिए उनके लिए आरक्षण का प्रावधान (संविधान में) आरंभ से किया गया। यद्यपि अंबेडकर ने भी कहा कि उसका हमेशा जारी रहना सही नहीं है। इसकी एक समयसीमा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि असीम रूप से इसे जारी रखने की बजाय लोगों को शिक्षा एवं अन्य चीजों के लिए समान अवसर मुहैया कराने के प्रयास होने चाहिए। इसके हमेशा जारी रहने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी बिहार चुनाव से ठीक पहले आरक्षण नीति की समीक्षा की जरूरत होने की ऐसी ही टिप्पणी की थी। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ा था क्योंकि पिछड़ी वर्गों का वोट नीतीश कुमार नीत महागठबंधन के पक्ष में समेकित हो गया था।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कुमार ने तब चेतावनी देते हुए इस बात पर जोर दिया था कि भाजपा यदि राज्य की सत्ता में आयी तो वह आरक्षण समाप्त कर देगी। वैद्य के बयान पर लालू प्रसाद ने कहा कि आरएसएस पर ब्राह्मणों का नियंत्रण है और आरक्षण संविधान में लक्षित वर्गों के लिए मुहैया कराया गया। उन्होंने कहा कि यह संघ के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उन्हें दी गई कोई खैरात नहीं थी। उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, मोदीजी आपके आरएसएस प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंटशंट बके हैं। बिहार में रगड़ रगड़कर धोया, शायद कुछ धुलाई बाकी रह गई थी जो अब उत्तर प्रदेश करेगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार हैं। आरएसएस जैसे जातिवादी संगठन की खैरात नहीं। इसे छीनने की बात करने वालों को औकात में लाना हमें आता है। कांग्रेस ने भी वैद्य की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, आरएसएस..भाजपा के दलित विरोधी एजेंडा को वैद्य के आरक्षण समाप्त करने के आह्वान ने उजागर कर दिया है। जाति एवं साम्प्रदायिक विभाजन उनके डीएनए में है। टिप्पणी को लेकर आलोचना का सामना करने के बाद वैद्य ने यह कहते हुए बचाव किया कि जब तक भेदभाव है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने यद्यपि इसकी समयबद्ध जांच की मांग की कि उसका लाभ लक्षित लोगों तक क्यों नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा, समाज में जब तक भेदभाव है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। हमें जितना जल्दी संभव हो भेदभाव समाप्त करना चाहिए। यद्यपि इसकी एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि कमजोरों में सबसे कमजोरों को स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद भी आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिला।