नई दिल्ली, आर्थिक सुधारों को और गति देने पर जोर देते हुये वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के कमजोर पड़कर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष के दौरान इसके सुधर कर 6.75 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में पहुंच जाने की उम्मीद व्यक्त की गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में और सुधारों पर जोर दिया गया है। पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही थी जबकि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि के 7.1 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान लगाया है।
आर्थिक समीक्षा में देश की आर्थिक प्रगति के रास्ते में आड़े आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया गया है। इनमें संपत्ति के अधिकार तथा निजी क्षेत्र के बारे में दुविधा की स्थिति और खास कर आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति तथा आय के पुनर्वितरण में के मालों में सरकार की कमियां शामिल हैं। समीक्षा में कहा गया है कि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान स्थिर बाजार मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान मुख्यतः वित्त वर्ष के शुरुआती 7-8 महीनों की प्राप्त सूचना के आधार पर लगाया गया है। वर्ष के दौरान सरकार का उपभोग व्यय ही जीडीपी में हुई वृद्धि के लिये मुख्य रूप से सहायक रहा है।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 के दौरान आर्थिक वृद्धि की गति सामान्य हो जाने की उम्मीद है। इस दौरान अपेक्षित मात्रा में नये नोट चलन में आ जायेंगे और नोटबंदी के बाद जरूरी कदम भी उठाये गये हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़कर वर्ष 2017-18 में वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जायेगी। समीक्षा में कहा गया है कि उपभोक्ता मूलय सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) की दर लगातार तीसरे वर्ष नियंत्रण में रही है। वर्ष 2014-15 में सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 4.9 प्रतिशत रह गई और अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई। इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 2014-15 के 2 प्रतिशत से घटकर शून्य से 2.5 प्रतिशत नीचे चली गई और चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान औसतन 2.9 प्रतिशत आंकी गई। समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि महंगाई दर में बार बार खाद्य वसतुओं के संक्षिप्त समूह में आने वाले उतार चढ़ाव का असर रहता है। इन वस्तुओं में दाल मूल्यों का सार्वधिक योगदान खाद्य समूह की मुद्रास्फीति में देखा गया है। इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मूल मुद्रास्फीति (खाद्य वस्तुओं के समूह को छोड़कर) औसतन 5 प्रतिशत के स्तर पर टिकी हुई है।