
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि दोनों न्यायमूर्तियों को मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में सोमवार की सुबह शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि दोनों न्यायमूर्तियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं सभी अधिवक्ताओं को आमंत्रित किया गया है।
एक सवाल के जवाब में श्री तिवारी ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में तबादले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन लगातार विरोध कर रहा था। एसोसिएशन ने उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बहिष्कार की भी घोषण की थी। उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति सी डी सिंह के साथ शनिवार को इसलिए शपथ नहीं दिलाई गयी कि एसोसिएशन पूरे शपथ समारोह का ही बहिष्कार कर देती।
वरिष्ठ अधिवक्ता और अध्यक्ष ने कहा कि न्यायमूर्ति को शपथ दिलाना हमारी न्यायिक प्रणाली में सर्वोत्कृष्ट अवसर होता है। संस्था में अधिवक्ता समान हितधारक हैं, इसलिए उन्हें इससे दूर नहीं रखा जा सकता। एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर कहा था कि शपथ संविधान के विरुद्ध है और इसलिए एसोसिएशन के सदस्य असंवैधानिक शपथ से जुड़ना नहीं चाहते। उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को शपथ ग्रहण कराने से पहले बार एसोसिएशन को नहीं बताया गया। ऐसे में हम यह समझने में विफल हैं कि इस शपथ में गुप्त क्या है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बार एसोसिएशन ने मांग की है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य नहीं सौंपे। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेकर आगामी 26 अप्रैल को एनसीजेडसीसी हाल में नेशनल डिबेट का आयोजन किया गया है जिसमें देश के सभी उच्च न्यायालय बार के अध्यक्ष हिस्सा लेंगे। इसमें कुछ सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति भी शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि डिबेट में न्यायमूर्ति का शुरू से लेकर आखिर तक कैसे यह प्रोसीड़ कर रहे हैं, कहां कहां गलत हैं, कहां पर आम जनता का विश्वास टूट रहा है, इन विषयों पर चर्चा होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर पिछले दिनों आग लगने से बड़ी मात्रा में अधजले नोटो के बंडल मिलने के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण को मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति वर्मा के इलाहाबाद स्थानांतरण होने से पहले मिली सुगबुगाहट के समय से ही बार एसोसिएशन इसका लगातार विरोध कर रहा था। इसको लेकर एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने कई दिनों तक हड़ताल भी किया था।