नई दिल्ली, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ मिलकर विश्व का सबसे बड़ा व महंगा अर्थ इमेजिंग कृत्रिम उपग्रह तैयार कर उसे कक्षा में स्थापित करने का करार किया है। सैटलाइट को बनाने में दोनों देश करीब 96 अरब से ज्यादा की राशि खर्च करेंगे।
नासा और इसरो के इस संयुक्त अभियान के तहत बनने वाले इस इस सिन्थेटिक ऐपरचर रेडार उपग्रह को 2021 में भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यहां एक विशेष बात यह है कि 1992 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका को चिंता थी कि कहीं भारत मिसाइल बनाने की तकनीक न विकसित कर लें।
प्रतिबंध के अलावा अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाकर उसे इसरो के साथ क्रायोजेनिक इंजन तकनीक साझा करने से भी रोक दिया था। लेकिन तमाम प्रतिबंधों और मुश्किलों के बाद भी इसरो ने जीएसएलवी को बनाने में कामयाबी हासिल की और अब यही जीएसएलवी नासा और इसरो के संयुक्त अभियान को अपने अंजाम तक पहुंचाएगा।