नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने देशभर में वर्ष 2013 और 2015 के बीच फ्लाइंग क्लबों के लाइसेंसों के नवीनीकरण में हुए कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका के पक्ष में ठोस सबूत की मांग की है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा, आप:याचिकाकर्ताः हमें कुछ ठोस सबूत दें।
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आपने एक अच्छा मुद्दा उठाया है और सवाल यह है कि ठोस सबूत कहां है? पीठ राजस्थान निवासी राम बाबू मीणा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मीणा पायलट बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। पीठ ने मीणा को याचिका के पक्ष में अतिरिक्त साक्ष्य उपलब्ध करवाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
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मीणा ने आरोप लगाया है कि एयरलाइनों में पायलटों की नियुक्ति की प्रक्रिया में भी संस्थागत भ्रष्टाचार व्याप्त है। याचिका में मांग की गई है कि देश भर के फ्लाइंग क्लबों के नवीनीकरण और विस्तार की प्रक्रिया में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच करवाई जाए।
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इसके अलावा कमर्शियल पायलट लाइसंेस स्कॉलरशिप स्कीम के दुरूपयोग की भी जांच हो। याचिका में मांग की गई है कि नए कमर्शियल पायलट लाइसंेसधारकों, इंजीनियर अैर चालक दल के सदस्यों के लिए एक साझा एयरलाइन प्रवेश परीक्षा एक स्वतंत्र प्राधिकरण द्वारा कराने के निर्देश दिए जाएं।