मुंबई,हिंदी प्रदेश के तीन राज्यों में भाजपा की हार की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र में कांग्रेस का मानना है कि वह ‘‘कृषि संकट’’ और रोजगार में कमी को लेकर लोगों की ‘‘नाराजगी’’ को अगले साल होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ मोड़ सकती है।
उत्तर प्रदेश (80) के बाद सबसे ज्यादा 48 सांसद महाराष्ट्र से आते हैं।
साथ ही, कांग्रेस नेता इस बात से भी अवगत हैं कि चुनाव में भाजपा का सामना करने के लिए अपने यहां की चीजों को दुरूस्त करना होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था और उसे मात्र दो सीटें मिली थीं।
कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन 1999 से 2014 तक तीन बार लगातार राज्य की सत्ता में रहा। लेकिन अक्टूबर, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उसे 42 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार ‘‘कृषि संकट’’ और बेरोजगारी को लेकर लोगों में नाराजगी महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की अपेक्षा ज्यादा गंभीर है। इन तीनों प्रदेशों में भाजपा को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है इन तीनों राज्यों के विपरीत महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां शिवसेना और राकांपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को अलग अलग हिस्से में मजबूत माना जाता है। इसके अलावा राज ठाकरे नीत मनसे, नारायण राणे की महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी, सपा, बसपा, एसएसएस, भाकपा, आरपीआई जैसे दल भी हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी की भविष्य की रणनीति भाजपा के सभी उम्मीदवारों को हराने की होगी। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस तथा राकांपा अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में नाकाम रहते हैं तो रणनीति यह होगी कि प्रभावशाली उम्मीदवार को सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन किया जाए। मुंबई के वरिष्ठ कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि उनका ध्यान मुंबई पर है जहां से 36 विधायक आते हैं। अगर हमें महाराष्ट्र जीतना है तो हमें मुंबई में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। एक पार्टी के रूप में हमें सबको साथ लाना होगा।