लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश का हृदयस्थल उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अनेक संभावनाएं हैं।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मरकरी हॉल में ईको टूरिज्म पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि गत वर्ष उत्तर प्रदेश में 48 करोड़ पर्यटक आए थे यानी आबादी की लगभग दोगुनी संख्या पर्यटन की दृष्टि से यहां आई थी। अधिकांश पर्यटक स्प्रिचुअल टूरिज्म के लिए आए थे। 2023 में काशी में यह संख्या 10 करोड़ से अधिक थी। मथुरा-वृंदावन में साढ़े सात करोड़ और अयोध्या में पांच करोड़ से अधिक थी। 500 वर्षों के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम के विराजमान होने के बाद यह संख्या कई गुना बढ़ गई है। औसतन प्रतिदिन डेढ़-दो लाख पर्यटक अयोध्या धाम आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यूपी में कई ऐसे साइट्स हैं, जहां पर्यटक आते हैं। लखनऊ के बगल में नैमिषारण्य, चित्रकूट, शुकतीर्थ, विंध्यवासिनी धाम, मां पाटेश्वरी धाम, मां शाकंभरी धाम सहारनपुर, बौद्ध तीर्थ स्थल कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिसा, जैन व सूफी परंपरा से जुड़े स्थलों में भी स्प्रिचुअल टूरिज्म की अनेक संभावना पहले से है। यह संभावनाएं बताती हैं कि यदि स्प्रिचुअल टूरिज्म के लिए स्थान है तो इसका मतलब यह मानव सृष्टि और जीव सृष्टि का उद्गम स्थल है। इसके सबसे बड़े प्रमाण सोनभद्र के फासिल्स पार्क को देखें। उसकी आयु उतनी ही है, जितनी जीव सृष्टि की है। लगभग डेढ़ सौ करोड़ वर्ष पूर्व के फासिल्स वहां पाए जाते हैं। ऐसे अनेक स्थल, प्राकृतिक सरोवर, ताल मिलेंगे। 15 हजार वर्गकिमी. का क्षेत्रफल केवल वन संपदा है।
यूपी में पौराणिक काल के वन हैं। यूपी के तराई क्षेत्र (बहराइच, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, बलरामपुर, पीलीभीत) में वन सुरक्षित हैं, जबकि उस पार नेपाल में वन समाप्त हो गए हैं। चूका, दुधवा, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, अब चित्रकूट व बिजनौर के अमानगढ़ में टाइगर रिजर्व को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हैरिटेज व ईको टूरिज्म की संभावनाएं भी मौजूद हैं। उन्हीं संभावनाओं को देश-दुनिया के सामने लाने, लोगों का आकर्षण बढ़े, मनोरंजन और ज्ञानवर्धन हो, अतीत व इतिहास के साथ जुड़ने का अवसर प्राप्त हो। साथ ही भावी चेतावनी के प्रति हम सभी जागरूक हो सकें, इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड गठित किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जून की गर्मी देश-प्रदेशवासियों को लंबे समय तक याद आएगी। तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा था। लोग असहाय और असमंजस की स्थिति में थे। इसके लिए उत्तरदायी हम सबकी स्वार्थी गतिविधियां ही हैं। स्वयं के स्वार्थ के लिए प्रकृति के दोहन की प्रवृत्ति के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई।
उन्होने कहा कि लखनऊ में कुकरैल के पास नाइट सफारी बना रहे हैं। इसके पहले कुकरैल नदी को जीवित करेंगे। कभी कुकरैल आदि गंगा गोमती की सहायक नदी थी। पीलीभीत से निकलकर वाराणसी में मां गंगा के साथ इसका मिलन होता है, लेकिन कुकरैल नदी को नाला बनाकर लोगों ने अवैध निर्माण कर लिया। चार दशक में कब्जा इतना बढ़ गया कि न केवल यह नदी, बल्कि पर्यावरण के लिए चुनौती बन गया। हम लोगों ने कुकरैल को नदी बनाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी। आठ हजार से अधिक अनधिकृत कब्जों को हटाया। दोषियों को दंडित किया और कइयों को पुनर्वास किया। गर्मी में जब नदियों और जल के स्रोत सूख रहे थे तो कुकरैल में जल के नए स्रोत बन रहे थे। ईको टूरिज्म डवलपमेंट बोर्ड आगाह कर रहा है कि मनोरंजन व ज्ञानवर्धन के लिए हम प्रकृति के उपहार का उपयोग करें, लेकिन भावी पीढ़ी को लंबे समय तक उपहार मिलता रहे। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हमें लेनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब टूरिस्ट आते हैं तो अनेक लोगों के लिए रोजगार सृजन होता है। ईको टूरिज्म के क्षेत्र में लोगों ने अलग-अलग कार्य प्रारंभ किए हैं। सोहगीबरवा, दुधवा, चूका, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में लोग आ रहे हैं। प्रकृति को देखकर लोग जानते हैं कि यहां सब वास्तविक है, कुछ भी आर्टिफिशियल नहीं है।
उन्होने कहा कि दूधवा में जंगल के बीच गया तो देखा कि लखनऊ का तापमान 42 है और दूधवा का 35 के आसपास। प्रकृति का यह सानिध्य इशारा करता है कि पर्यावरण के प्रति जागरूक हुए तो आने वाले समय में लाभ प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कनेक्टिविटी के लिए सरकार ने प्रयास प्रारंभ किए हैं। लखीमपुर में पुरानी एयरस्ट्रिप का एयरपोर्ट के रूप में विकास करने जा रहे हैं। पिछली बार इस क्षेत्र में होलीडे ट्रेन चलाने की व्यवस्था रेलवे के माध्यम से प्रारंभ की। इसे अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास है। स्थानीय निवासियों को गाइड के रूप में प्रशिक्षित करें। वहां बनने वाली सुविधाओं से जोड़ें तो ईको टूरिज्म को बढ़ाने में मदद मिलेगी। पर्यटन न केवल मनोरंजन का माध्यम बन सकता है, बल्कि आर्थिक समृद्धि के जरिए हम सशक्त बनने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। यह अनेक लोगों के लिए रोजगार सृजन का सशक्त माध्यम बन सकता है। यूपी में स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हैरिटेज टूरिज्म के लिए भी कार्य हुए। बुंदेलखंड के किलों या जहां-तहां पड़ीं ऐतिहासिक इमारतों को कहीं होटल के रूप में तो कहीं टूरिज्म डवलपमेंट की दृष्टि से विकसित करने के प्रयास प्रारंभ किए हैं।
उन्होने कहा कि यूपी के जनपदों में अलग-अलग संभावनाएं हैं। ईको क्षेत्र में टूरिज्म डवलपमेंट का नया बोर्ड सरकार ने गठित किया है। यह नई संभावनाओं को बढ़ाएगा। काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन में स्प्रिचुअल दृष्टि से होम स्टे की व्यवस्था करते हैं तो यही कार्य ईको टूरिज्म को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में करें, इससे ग्रामीणों के लिए भी रोजगार सृजन की संभावना भी बनेगी।