नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा। 29 अप्रैल को होने वाला शक्ति परीक्षण को टाल दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 3 मई मंगलवार को होगी। इससे पहले 22 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर 27 अप्रैल तक रोक लगा दी थी।
उत्तराखंड में फिलहाल राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा और 29 अप्रैल को उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप शक्ति परीक्षण नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रपति शासन हटाने पर लगाई रोक बढ़ा दी। राष्ट्रपति शासन हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केन्द्र की अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सात मुश्किल सवाल तय किये और यहां तक कि अटार्नी जनरल को उन अन्य सवालों को जोड़ने की आजादी दी जिन पर सरकार गौर करना चाहती हो।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने आगे की सुनवाई के लिए तीन मई की तारीख तय की और संकेत दिये कि अगले महीने के मध्य से अदालत में गर्मियों का अवकाश होने से पहले फैसला सुनाया जा सकता है। पीठ ने स्पष्ट किया कि पक्षों की रजामंदी से अगले आदेश तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक बढ़ायी जा रही है।
रावत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कुछ और दिन के लिए उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक के अंतरिम आदेश के साथ बने रहने के पीठ के रूख का विरोध करने का कोई सवाल नहीं है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वर्तमान घटना का संभावित जवाब अंतत: शक्ति परीक्षण होगा। पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से उसके द्वारा रखे गये सवालों और सुझावों पर सोचने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘इस मामले की अपनी गंभीरता है और अंतत: ऐसे मामले में पहली नजर में हमें लोकतंत्र को कायम रखना है और अगर हमें राष्ट्रपति शासन में कोई गुण नहीं मिला तो हमें शक्ति परीक्षण कराना होगा।’ पीठ ने कहा कि इसलिए एक संवैधानिक परिकल्पना के रूप में जब तक हम अपना आदेश वास्तव में वापस नहीं ले लेते जिसका तात्पर्य राष्ट्रपति शासन हटाना नहीं है, हमें अपने आदेश में संशोधन करना होगा और कहना होगा कि शक्ति परीक्षण कीजिए। इस पर सोचिए।
अटार्नी जनरल ने कहा कि वह इस बारे में सोचकर अदालत को जानकारी देंगे। पीठ ने यह भी कहा कि यह आपातकालीन स्थिति है। कई सवालों का जवाब देते हुए रोहतगी ने कहा कि राष्ट्रपति शासन 27 मई तक दो महीने के लिए लागू रहेगा और अगर इसे अदालत द्वारा बरकरार रखा जाता है तो शक्ति परीक्षण कराना सरकार का विवेकाधिकार होगा और अगर राष्ट्रपति शासन को खत्म किया जाता है तो यह राष्ट्रपति शासन के अस्तित्व में नहीं होने का मामला होगा और उस स्थिति में राज्यपाल को शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश होगा।