उन्नाव. यहां 2 साल के सूखे के बाद भूमिगत जल के अंधाधुंध प्रयोग से जमीनी जल का स्तर कई गुना गिर गया है। आलम यह है कि कई इलाको में हैंडपंप और नलकूप बेकार हो गए हैं। बता दें, अगर हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब खेती तो दूर किसानों को पीने के पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।
9 ब्लॉकों में सूख चुके हैं हैंडपंप
– ग्रामीणों का कहना है कि गंगा और सई नदी के बीच बसे उन्नाव में बुंदेलखंड जैसे हालात बनते जा रहे हैं।
– इस बार हुई कम बारिश की वजह से ज्यादातर क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं।
– नहरों में पानी नहीं आने की वजह से किसान खेतो की सिचाई के लिए पूरी तरह भूमिगत जल पर आश्रित है।
– 2002 से 2012 के बीच के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले के 16 ब्लाकों में 9 ब्लाकों में हैंडपंप सूख चुके हैं।
– वहीं, कुछ क्षेत्रों में खतरनाक फ्लोराइड के स्तर को देखते हुए कई हैंडपंप सील किए जा चुके हैं।
नवाबगंज के हैं सबसे खराब हालात
– नवाबगंज के ब्लाक प्रमुख अरुण सिंह का कहना है, जिले में किसानों के सबसे खराब हालात नवाबगंज में हैं।
– यहां पानी पैक करने वाली कंपनी के रोजाना कई लाख लीटर पानी का दोहन करती है, जिससे आसपास 5 किलोमीटर दायरे में भूमिगत जल निचले स्तर तक पहुंच चुका है।
– ब्लाक स्तर पर क्षेत्र की समस्या से जिले के अधिकारीयों को सूचित किया जा चुका है। लेकिन अभी तक हालात जस के तस बने हैं।
– इस बार हुई कम बारिश की वजह से ज्यादातर क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं।
– नहरों में पानी नहीं आने की वजह से किसान खेतो की सिचाई के लिए पूरी तरह भूमिगत जल पर आश्रित है।
– 2002 से 2012 के बीच के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले के 16 ब्लाकों में 9 ब्लाकों में हैंडपंप सूख चुके हैं।
– वहीं, कुछ क्षेत्रों में खतरनाक फ्लोराइड के स्तर को देखते हुए कई हैंडपंप सील किए जा चुके हैं।
– नवाबगंज के ब्लाक प्रमुख अरुण सिंह का कहना है, जिले में किसानों के सबसे खराब हालात नवाबगंज में हैं।
– यहां पानी पैक करने वाली कंपनी के रोजाना कई लाख लीटर पानी का दोहन करती है, जिससे आसपास 5 किलोमीटर दायरे में भूमिगत जल निचले स्तर तक पहुंच चुका है।
– ब्लाक स्तर पर क्षेत्र की समस्या से जिले के अधिकारीयों को सूचित किया जा चुका है। लेकिन अभी तक हालात जस के तस बने हैं।