लखनऊ, बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को प्रस्तावित विपक्षी दलों की बैठक के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले एकजुटता दर्शाने के प्रयास से पहले विपक्षी दलों की अपनी नीयत को पाक साफ करना ज्यादा बेहतर होता।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा “ लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियाँ जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में श्री नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ’दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।”
उन्होने कहा “ वैसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियाँ, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की गज़ऱ् से, अपने गिरेबान में झाँककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ’मुँह में राम बग़ल में छुरी’ आख़िर कब तक चलेगा।”
बसपा अध्यक्ष ने कहा “ यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती है, किन्तु विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहाँ अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर व सही मायने में चिन्तित हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी।”
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर समतामूलक संविधान को सही से लागू नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुये उन्होने कहा “महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है।”