कोलकाता , 1970 एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता सुभाष भौमिक का 72 वर्ष की उम्र में कोलकाता में निधन हो गया। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने भौमिक के निधन पर शोक व्यक्त किया है ।
एआईएफएफ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने शोक संदेश में कहा, “यह सुनकर दुख हुआ कि अपनी पीढ़ी के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक भौमिक अब नहीं रहे। भारतीय फुटबॉल में उनका अमूल्य योगदान हमेशा हमारे साथ रहेगा और कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना।”
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा, “सुभाष भौमिक हमेशा अपनी उपलब्धियों में जीवित रहेंगे। वह एक महान फुटबॉलर और एक दूरदर्शी कोच थे, जो कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि दो अक्टूबर 1950 को जन्मे भौमिक ने एक खिलाड़ी और एक कोच के रूप में अंतरराष्ट्रीय गौरव हासिल करने का अनूठा गौरव प्राप्त किया। उन्होंने 30 जुलाई 1970 को फॉर्मोसा के खिलाफ मर्डेका कप में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया। उन्होंने 24 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कुल नौ गोल किए, जिसमें 1971 में मर्डेका कप में फिलीपींस के खिलाफ हैट्रिक भी शामिल है। उस मैच में भारत ने फिलीपींस को 5-1 से हराया था।
बैंकाक में 1970 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के अलावा दिवंगत भौमिक भारतीय टीम के एक विजयी सदस्य भी थे, जिसने सिंगापुर में दक्षिण वियतनाम के खिलाफ 1971 में पेस्टा सुकन कप में संयुक्त जीत और 1970 में मर्डेका कप में कांस्य पदक जीता था। भौमिक ने घरेलू स्तर पर 1968, 1969, 1970, 1971, 1972, 1973 (कप्तान की भूमिका) और 1975 में संतोष ट्रॉफी में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया और चार बार (1969, 1971, 1972, 1975) यह टूर्नामेंट जीतने में अहम योगदान दिया। उन्होंने इस दौरान 24 गोल किए। भौमिक एक प्रतिष्ठित कोच थे। उन्होंने 1989 में ढाका में छठे प्रेसिडेंट गोल्ड कप में भारत को कोचिंग दी थी।
उन्होंने 2002 से 2004 तक कोलकाता फुटबॉल लीग, 2004 में काठमांडू में सैन मिगुएल कप, 2002-03 और 2003-04 में नेशनल फुटबॉल लीग, 2002 में आईएफए शील्ड, 2002 में स्वतंत्रता दिवस कप और 2002 में डूरंड कप जीतने के लिए पूर्वी बंगाल को कोचिंग दी। उन्होंने 1992 में सिक्किम गोल्ड कप जीतने के लिए मोहन बागान को भी कोचिंग दी।
इसके अलावा एक तकनीकी निदेशक के रूप में वह चर्चिल ब्रदर्स में 2012-13 में हीरो आई-लीग जीत का हिस्सा बने। 2017 में उन्हें ईस्ट बंगाल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।