लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार के लिये आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) राज्य में कर चोरी को पकड़ कर राजस्व इजाफे में कारगर रूप से मददगार साबित हो रही है।
वाणिज्य कर विभाग को हाइटेक बनाकर राजस्व संग्रह बढ़ाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल के फलस्वरूप विभाग में कर चोरी पकड़ने के लिए जल्द ही एआई का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल शुरू किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार फिलहाल, विभाग ने तकनीकी का उपयोग कर केवल मिसमैच डेटा से पिछले छह महीने में करीब साढ़े छह हजार कारोबारियों से सात सौ करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त किया है।
मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक में अफसरों को तकनीकि का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे। जिसके तहत वाणिज्य कर विभाग ने आईटी टूल्स बीफा (बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स) के जरिए ऑनलाइन मिसमैच डाटा से मिलान कर त्रुटि मिलने पर इस साल जनवरी से जून तक सात सौ करोड़ से अधिक के राजस्व की वसूली की है। विभाग ने वर्ष 2022-23 में करीब 33 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त किया है।
गौरतलब है कि वाणिज्य कर विभाग को कई वर्ष पहले ही पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया था। ऐसे में विभाग में राजस्व से संबंधित काम जैसे रजिस्ट्रेशन, पेमेंट, नोटिस, आदेश, रिफंड एप्लीकेशन और देय रिफंड का ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों को जीएसटी के ‘मिचमैच डाटा’ पकड़ने के लिए ‘बीफा टूल्स’ नाम का एक साॅफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है। इस टूल के जरिए विभाग के अधिकारियों ने जब व्यापारियों के जीएसटी रिर्टन को ऑनलाइन परीक्षण किया तो उन्हें सात सौ करोड़ से अधिक के मिसमैच डाटा की त्रुटि मिली। इसके बाद व्यापारी को नोटिस जारी की गई। इस पर व्यापारी ने सात सौ करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी के विभाग में जमा कराए।
सूत्रों ने बताया कि एआई टूल्स के आधार पर अन्य जानकारी एकत्र कर राजस्व को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि विभाग के पूरी तरह से ऑनलाइन होने से जीएसटी के रिटर्न दाखिले में उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है। प्रदेश में मार्च 2021 के देय रिटर्न 95 प्रतिशत दाखिल हुए हैं, जो अन्य प्रदेशों से कहीं ज्यादा है।