शिमला, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन पर महिला आरक्षण विधेयक को दबाने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने ऐसा करके ‘राष्ट्र निर्माता’ आधी आबादी के साथ विश्वासघात किया है।

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए श्रंखलाबद्ध ट्वीट्स में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को ‘राष्ट्र निर्माता’ कहा था। भाजपा सरकार ने पहले ही हाशिए पर रहीं भारतीय महिलाओं के साथ बड़ी बेरहमी से धोखा किया है।”

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21 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से तत्काल लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने का आग्रह किया था, जहां भाजपा के पास बहुमत है। अपने पत्र में सोनिया ने लिखा था, “आपको याद होगा कि राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक को नौ मार्च, 2010 को पारित कर दिया था। इसके बाद से यह एक न एक कारण से लोकसभा में लटका हुआ है।”

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वीरभद्र सिंह ने हिमाचल की महिला साक्षरता दर का हवाला देते हुए कहा कि यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में महिला साक्षरता 75.9 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यहां श्रमशक्ति में 64 प्रतिशत महिलाओं का योगदान है, जो पूरे भारत से सबसे ज्यादा है।”

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 2015 में हरियाणा और राजस्थान में पारित पंचायती राज विधेयकों का भी हवाला दिया, जो उम्मीदवारों के लिए पंचायत चुनाव लड़ने की शैक्षिक और अन्य योग्यताएं तय करते हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा ने राजस्थान और हरियाणा में पंचायत चुनाव लड़ने की शैक्षणिक योग्यताओं पर मनमानी शर्ते लगा दीं, जो असंवैधानिक हैं।”

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राजस्थान पंजायती राज विधेयक, 2015 के मुताबिक, सरपंच के पद के लिए किसी भी उम्मीदवार की न्यूनतम योग्यता आठवीं पास होनी चाहिए। आदिवासी इलाकों में न्यूनतम योग्यता पांचवीं पास, जबकि जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनावों के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास है। जबकि हरियाणा में पंचायत चुनाव में आम उम्मीदवारों के लिए आवश्यक योग्यता मैट्रिक, जबकि महिला (सामान्य) और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए योग्यता मानक आठवीं होगी।

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