नई दिल्ली, कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को एक बार फिर अध्यक्ष बनाये जाने पर मोहर लग गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी को फिर अध्यक्ष चुना गया। ऐसा पहली बार है कि राहुल गांधी ने समिति की बैठक की अध्यक्षता की। तबीयत खराब होने के कारण गांधी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। वहीं मनमोहन सिंह, ऐके एंटनी, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, मलिका अर्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, बीके हरिप्रसाद और गुलाम नबी आजाद समेत 21 सदस्यों की मौजूदगी में यह फैसला लिया गया। कार्य समिति आंतरिक चुनाव के लिए एक साल का वक्त मांगा है। पार्टी ने इसके लिए चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है। दरअसल पार्टी का मानना है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने से पहले कोई फेरबदल करना ठीक नहीं होगा। कांग्रेस में संगठन के चुनाव की समयसीमा 31 दिसम्बर को खत्म होने वाली है। इससे पहले पार्टी को नया अध्यक्ष चुनना था जिसके तहत सोनिया को एक बार फिर मौका दिया गया है। इससे पहले 2015 की पिछली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और सीडब्लूसी के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।
बैठक के बाद एके एंटनी ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष का पद संभालने के लिए राहुल गांधी के लिए उपयुक्त समय है। इस पर बैठक में शामिल अन्य सदस्यों ने सहमति जताई। राहुल गांधी ने बैठक की शुरूआत करते हुए सोमवार को कहा कि मोदी सरकार सत्ता के नशे में चूर है और यह असहमति की आवाज को दबाना चाहती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने सिविल सोसायटी को सवाल पूछने से रोका जा रहा है। टीवी चौनलों को बंद किया जा रहा है और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, मौजूदा सरकार के तहत यह लोकतंत्र के लिए सबसे अंधकारमय समय है। सवाल पूछने से यह सरकार असहज होती है। इनके पास जवाब नहीं हैं। हमें आने वाले संसद सत्र में सरकार की नाकामियों को उजागर करना है। राहुल ने कहा, जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे पर सरकार एक किनारे से दूसरे किनारे जा रही है। हमारे जवानों को ओआरओपी पर धोखा दिया जा रहा है और पेंशन घटा दी है। बैठक में संगठनात्मक चुनाव और संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के लिए रणनीति के साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों पर चर्चा की जा रही है।
कार्यकारिणी समिति की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू हो रहा है और कांग्रेस इस बैठक में सत्र के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देगी। सूत्रों ने बताया कि बैठक में संगठनात्मक चुनाव और संसद सत्र के लिए एक रणनीति अपनाने के अलावा वर्तमान राजनीतिक स्थिति का जायजा लिया गया। पार्टी सूत्रों का कहना कि पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल इसलिए बढ़ाया गया क्योंकि सहयोगी दलों के साथ बेहतर संबंध करने की मजबूरी है। सोनिया गांधी ने गठबंधन में दूसरे दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध रखे, लेकिन राहुल गांधी अब तक दूसरे दलों का विश्वास पाने में सफल नहीं हो सके हैं। कांग्रेस का तर्क है कि अगले एक साल तक सोनिया गांधी विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कर सकती हैं इसलिए यह फैसला एक दम सटीक है। वहीं सूत्रों के अनुसार, उपाध्यक्ष राहुल गांधी अब राज्यों में कांग्रेस संगठन को दोबारा मजबूत करने पर ध्यान देंगे। इसके लिए वह राज्यों का अधिक से अधिक दौरा करेंगे।