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किशोर न्याय अधिनियम को लाया जाए अमल मे – कैलाश सत्यार्थी

कोलकाता,  नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि बच्चों को आपराधिक गतिविधियों को शामिल किये जाने से रोकने के लिए देश में किशोर न्याय अधिनियम के तहत एक बहुत मजबूत प्रावधान है। सत्यार्थी ने यहां कल रात को संवाददाताओं से कहा, किशोर न्याय अधिनियम के तहत एक बहुत मजबूत प्रावधान है जिसे अमल में लाये जाने की जरूरत है।

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अगर हम प्रावधानों को अमल में लाने में सक्षम हो जाते हैं तब स्थिति बदल जाएगी। वर्ष 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले सत्यार्थी ने किशोर अपराध दर में वृद्धि पर एक सवाल का जवाब देने के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा, अगर हम उनके शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने और मध्याह्न भोजन जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को अच्छी तरह से लागू करने में सक्षम होते हैं तो बच्चों को गुलामी, वेश्यावृति या हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

 

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उन्होंने कहा, आपको बच्चों पर दोष नहीं डालना चाहिए जो पहले से ही पीड़ित हैं। बच्चों द्वारा धार्मिक जुलूसों में हथियार ले जाने को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हमें इसमें अंतर करने की जरूरत है कि उन्हें इस तरह के जुलूस में भाग लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है या फिर वे स्वेच्छा से ऐसा कर रहे है।

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अगर उन्हें मजबूर किया जा रहा है तो यह अच्छी बात नहीं है। दुनिया मेें बच्चों की स्थिति पर बात करते हुये सत्यार्थी ने बाल श्रम और गुलामी को खत्म करने के लिए राष्ट्रों को सामूहिक जिम्मेदारी लेने के लिए कहा। पी सी चंद्र पुरस्कार 2017 से सम्मानित किये जाने के बाद मीडिया के साथ बातचीत में सत्यार्थी ने कहा, बच्चों के दुःखों पर सतत विकास की कोई बुनियाद नहीं रखी जा सकती।

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