गुजरात वकिया (अमरेली), सुदूर गांव में किसानों के सामूहिक प्रयास और उन्हें मिल रहा प्रौद्योगिकी का साथ किसानों ने गांवों की तकदीर बदल दी है। उन्होंने कृषि उत्पाद को दो गुने से भी अधिक बढ़ाकर अपनी आय बढ़ाने में सफलता हासिल की है।
राज्य की राजधानी गांधीनगर से करीब 266 किलोमीटर दूर दक्षिणी गुजरात के वकिया गांव के किसानों ने अपनी आय बढ़ाने, कृषि उत्पादन अधिक करने तथा कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक ‘किसान उत्पादक कंपनी’ बनायी। सौराष्ट्र स्वनिर्भर खेदुत प्रॉड्यूसर्स कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य बाउजी सागतिया ने कहा, ‘‘पहले एक एकड़ जमीन से 500 किलोग्राम उत्पादन हो पा रहा था जिसे अब बढ़ाकर 1,200 किलोग्राम कर लिया गया है।
किसानों को कंपनी बनाने का विचार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की समाजसेवी इकाई रिलायंस फाउंडेशन के संपर्क में आने के बाद आया। फाउंडेशन ने किसानों को सौराष्ट्र क्षेत्र में सूखे का कारण पता करने और उसे हल करने के सामूहिक प्रयास के लिए एक मंच बनाने की सलाह दी थी। सागतिया ने कहा, ‘‘उत्पादन बढ़ने के साथ ही हमारी आय भी बढ़ी है। पहले हमें प्रति क्विंटल 3,500 रुपये मिलते थे पर अब 4,500 रुपये मिल रहे हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘कंपनी बनाने के बाद हमने अपने उत्पाद नेफेड को बेचना शुरू किया। इससे पहले हम स्थानीय मंडियों में बेचा करते थे। अब किसान हमें अपने उत्पाद की मात्रा की सूचना देता है और हम उसे बिक्री के लिए उत्पाद लाने की तिथि आवंटित कर देते हैं। वह मैसेज अलर्ट के जरिये जुड़ा होता है।’’ इस कंपनी को कंपनी अधिनियम के तहत 2015 में पंजीकृत कराया गया था। इसके निदेशक मंडल में छह सदस्य हैं जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। आस पास के 17 गांवों के 1,600 से अधिक किसान इसके सदस्य हैं।
सागतिया ने कहा, ‘‘हमने सभी का मोबाइल नं पंजीकृत किया हुआ है और जरूरत पड़ने पर उन्हें संदेश से अलर्ट भेजा जाता है।’’ गुजरात में कृषि क्षेत्र संबंधी पहल का समन्वय कर रहे रिलायंस फाउंडेशन के समन्वयक भरत पटेल ने कहा, ‘पहले यहां के किसान केवल कपास की खेती पर निर्भर थे। आज बेहतर तकनीक और जल प्रबंध के सहारे तीन तीन फल ले रहे हैं और उनका कारोबार 125 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।’
सागतिया ने कहा, ‘‘रिलायंस फाउंडेशन हमारे गांव में चार साल पहले आया। वह जल संरक्षण, खाद्य एवं पोषण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कृषि पद्धति आदि पर काम कर रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कृषि को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करते हैं। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी किसान मौसम में बदलाव, कम उत्पादन, बाजार में उपज की कम कीमत आदि जैसे कारणों से खेती न छोड़े।’’ किसानों की इस उत्पादक कंपनी ने बेहतर उत्पादन के लिए बाबरा तहसील में एक प्रयोगशाला गठित की है। 17 गांवों के किसान बुवाई से पहले वहां अपने बीज का परीक्षण कराने आते हैं। इससे उन्हें सही बीज की बुवाई में मदद मिलती है और उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण यही है।
इसके अलावा किसानों ने मूंगफली की खेती शुरू की है। इसकी खेती में कपास की अपेक्षा कम पानी की जरूरत होती है।कंपनी ने सिंचाई के लिए 70 से अधिक छोटे अस्थायी बांध भी बनाए हैं। इससे क्षेत्र में जलस्तर में भी सुधार हुआ है।निदेशक मंडल की सदस्य लिलिबेन ने कहा कि इस मॉडल से महिलाओं को पहचान मिली है और उन्हें सलाहकार की भूमिका में भागीदारी का मौका मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अब खेतों तक सीमित नहीं हैं। पूरी प्रक्रिया ने खेती के नये मॉडल को उभारा है जिसमें नीतिगत मामलों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।’’
गुजरात वकिया (अमरेली), सुदूर गांव में किसानों के सामूहिक प्रयास और उन्हें मिल रहा प्रौद्योगिकी का साथ किसानों ने गांवों की तकदीर बदल दी है। उन्होंने कृषि उत्पाद को दो गुने से भी अधिक बढ़ाकर अपनी आय बढ़ाने में सफलता हासिल की है।
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राज्य की राजधानी गांधीनगर से करीब 266 किलोमीटर दूर दक्षिणी गुजरात के वकिया गांव के किसानों ने अपनी आय बढ़ाने, कृषि उत्पादन अधिक करने तथा कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक ‘किसान उत्पादक कंपनी’ बनायी। सौराष्ट्र स्वनिर्भर खेदुत प्रॉड्यूसर्स कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य बाउजी सागतिया ने कहा, ‘‘पहले एक एकड़ जमीन से 500 किलोग्राम उत्पादन हो पा रहा था जिसे अब बढ़ाकर 1,200 किलोग्राम कर लिया गया है।
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किसानों को कंपनी बनाने का विचार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की समाजसेवी इकाई रिलायंस फाउंडेशन के संपर्क में आने के बाद आया। फाउंडेशन ने किसानों को सौराष्ट्र क्षेत्र में सूखे का कारण पता करने और उसे हल करने के सामूहिक प्रयास के लिए एक मंच बनाने की सलाह दी थी। सागतिया ने कहा, ‘‘उत्पादन बढ़ने के साथ ही हमारी आय भी बढ़ी है। पहले हमें प्रति क्विंटल 3,500 रुपये मिलते थे पर अब 4,500 रुपये मिल रहे हैं।’’
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उन्होंने आगे कहा, ‘‘कंपनी बनाने के बाद हमने अपने उत्पाद नेफेड को बेचना शुरू किया। इससे पहले हम स्थानीय मंडियों में बेचा करते थे। अब किसान हमें अपने उत्पाद की मात्रा की सूचना देता है और हम उसे बिक्री के लिए उत्पाद लाने की तिथि आवंटित कर देते हैं। वह मैसेज अलर्ट के जरिये जुड़ा होता है।’’ इस कंपनी को कंपनी अधिनियम के तहत 2015 में पंजीकृत कराया गया था। इसके निदेशक मंडल में छह सदस्य हैं जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। आस पास के 17 गांवों के 1,600 से अधिक किसान इसके सदस्य हैं।
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सागतिया ने कहा, ‘‘हमने सभी का मोबाइल नं पंजीकृत किया हुआ है और जरूरत पड़ने पर उन्हें संदेश से अलर्ट भेजा जाता है।’’ गुजरात में कृषि क्षेत्र संबंधी पहल का समन्वय कर रहे रिलायंस फाउंडेशन के समन्वयक भरत पटेल ने कहा, ‘पहले यहां के किसान केवल कपास की खेती पर निर्भर थे। आज बेहतर तकनीक और जल प्रबंध के सहारे तीन तीन फल ले रहे हैं और उनका कारोबार 125 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।’
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सागतिया ने कहा, ‘‘रिलायंस फाउंडेशन हमारे गांव में चार साल पहले आया। वह जल संरक्षण, खाद्य एवं पोषण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कृषि पद्धति आदि पर काम कर रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कृषि को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करते हैं। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी किसान मौसम में बदलाव, कम उत्पादन, बाजार में उपज की कम कीमत आदि जैसे कारणों से खेती न छोड़े।’’ किसानों की इस उत्पादक कंपनी ने बेहतर उत्पादन के लिए बाबरा तहसील में एक प्रयोगशाला गठित की है। 17 गांवों के किसान बुवाई से पहले वहां अपने बीज का परीक्षण कराने आते हैं। इससे उन्हें सही बीज की बुवाई में मदद मिलती है और उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण यही है।
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इसके अलावा किसानों ने मूंगफली की खेती शुरू की है। इसकी खेती में कपास की अपेक्षा कम पानी की जरूरत होती है।कंपनी ने सिंचाई के लिए 70 से अधिक छोटे अस्थायी बांध भी बनाए हैं। इससे क्षेत्र में जलस्तर में भी सुधार हुआ है।निदेशक मंडल की सदस्य लिलिबेन ने कहा कि इस मॉडल से महिलाओं को पहचान मिली है और उन्हें सलाहकार की भूमिका में भागीदारी का मौका मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अब खेतों तक सीमित नहीं हैं। पूरी प्रक्रिया ने खेती के नये मॉडल को उभारा है जिसमें नीतिगत मामलों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।’’