अमरेली, गुजरात में पूर्ववर्ती नरेन्द्र मोदी सरकार के मंत्री तथा सहकारी क्षेत्र के वरिष्ठ नेता और राज्य की अग्रणी सहकारी विपणन संस्था गुजकोमासोल के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने आज अमूल के सह संस्थापक तथा देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाली श्वेत क्रांति का जनक कहे जाने वाले स्वर्गीय डा़ वर्गीज कुरियन के बारे में एक विवादास्पद बयान देते हुए दावा किया कि वह अमूल डेयरी के कोष से धर्मांतरण में संलिप्त ईसाई मिशनरियों को पैसे दिया करते थे।
आगामी 26 नवंबर को डा़ कुरियन के जन्म दिन से दो दिन पहले आज यहां अमूल की ओर से आयोजित एक मोटरसाइकिल रैली के मौके पर अपने संबोधन में श्री संघाणी ने यह भी आरोप लगाया कि डा़ कुरियन को प्रभुत्व देने के लिए अमूल के मूल संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल और सहकारी क्षेत्र में बड़ा काम करने वाले डा़ वल्लभभाई पटेल के योगदान को भुला दिया गया। उस समय के अंग्रेजी अखबारों पर ईसाई मिशनरियों का प्रभाव था और इसलिए उन्होंने डा़ कुरियन की खबरों को बहुत प्रमुखता दी थी।
संघाणी ने कहा कि अमूल का कोष गुजरात के गरीब पशुपालकों और किसानों की गाढ़ी मेहनत और पसीने से बनता था और डा़ कुरियन इसमें से गरीबों के धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों को पैसे दे दिया करते थे। उन्होंने कहा कि वह डेयरी क्षेत्र में डा़ कुरियन के योगदान से इंकार नहीं कर रहे पर उनके एक अन्य पहलू को भी उजागर कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 26 नवंबर 1921 को जन्में डा़ कुरियन का निधन नौ सितंबर 2012 को हुआ था। उनके नेतृत्व में देश के डेयरी क्षेत्र ने जबरदस्त प्रगति की थी। उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण के अलावा रैमन मैग्सेसे समेत कई पुरस्कार और सम्मान मिले थे। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड तथा इरमा जैसी संस्थाओं की स्थापना में भी अग्रणी भूमिका निभायी थी।