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कृषि लागत को कम करना और हानिकारक रसायनो पर रोक बड़ी चुनौती: मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि कृषि लागत को कम करना और खेतीबाड़ी में अधिकाधिक टेक्नोलॉजी को अपनाकर कैमिकल, फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड से मुक्त करना एक गंभीर चुनौती है।

मुख्यमंत्री योगी ने चार दिवसीय कृषि भारत कार्यक्रम के उदघाटन के मौके पर कहा कि देश की कुल आबादी का 17 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में निवास करता है जबकि देश की कुल कृषि योग्य भूमि में से 11 प्रतिशत हमारे पास है। उत्तर प्रदेश की उर्वरा भूमि, पर्याप्त जल संसाधन से 11 प्रतिशत भूमि पर देश के कुल खाद्यान्न का 20 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है।

उन्होने कहा कि बात एग्रीकल्चर की हो या फिशरी या डेली सेक्टर कि हो हर सेक्टर उत्पादन करता आया है पर हमे उससे बेहतर करना है। टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग करना है उसे तीन से चार गुना और बढ़ाना। कृषि क्षेत्र में आज हमारे सामने सबसे बड़े दो चैलेंज हैं। पहला कृषि की लागत को कम करना, दूसरा कैसे हम कृषि में अधिकाधिक टेक्नोलॉजी को अपनाकर के उसे कैमिकल, फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड से मुक्त करके प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ बना सकते हैं। विगत 10 वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने कृषि और किसानों के हित के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा “ मैं सीआईआई को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने चंडीगढ़ में होने वाले आयोजन को पहली बार उत्तर प्रदेश में आयोजित कराया यह हमारे लिए काफी मायने रखता है। उत्तर प्रदेश में इस प्रकार का आयोजन किया जाना बड़ी बात है। मुझे विश्वास है कि आज का यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगा।”

सीईओ राउंडटेबल ऑन फ्यूचर ऑफ फार्मिंग नामक सेशन में प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश पूरे भारत में एग्रीकल्चर के पावर हाउस के रूप में जाना जाता है। देश का 20 प्रतिशत खाद्य पदार्थ उत्तर प्रदेश उत्पादित करता है। सब कुछ होने के बाद भी हम अपनी क्षमता के अनुसार उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं हमे अब एक बड़े ट्रांसफॉर्मेशन की जरूरत है। उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां 75 प्रतिशत एग्रीकल्चर लैंड है।इसलिए यहां सिंचाई की बहुत जरूरत है। पर्याप्त मात्रा में सिंचाई खेती के लिए बहुत जरूरी है। खेती में लॉजिस्टिक का बहुत अहम रोल होता है जिसमें अभी हम काफी पीछे हैं। हम जल्द ही लोजिस्टिक्स को कार्गो प्लेन से भेजना शुरू करेंगे जिससे समय की बचत हो और लॉजिस्टिक की पहुंच किसानों तक बेहतर हो।

नीदरलैंड्स के वाइस मिनिस्ट ऑफ एग्रीकल्चर जान कीस गोएट ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने जो प्रगति की है वह वाकई काबिले तारीफ है खास तौर पर मैन्युफैक्चरिंग में एग्रीकल्चर में जिस तरह भारत आगे बढ़ रहा है वह तारीफ के योग्य है। और मैं यह मानता हूं की जो दिखता है वह सच होता है।

कृषि के प्रमुख सचिव रविंद्र कुमार ने डेलिगेट्स कहा कि इन्वेस्टमेंट एग्रीकल्चर में बहुत जरूरी है। साथ ही हमें यह भी ध्यान देना है कि कैसे हम किसानों को बेहतर सप्लाई दे पाएं बीजों की, खाद की, लॉजिस्टिक्स की। हमें अपनी नई योजनाओं की जानकारी किसानों को देनी होगी उन्हें उनके फायदे बताने होंगे और मैं अपने सभी डेलिगेट्स से कहना चाहता हूं की उत्तर प्रदेश में इन्वेस्ट करने के लिए उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता चाहिए होगी उनकी मदद करने में हमें बेहद खुशी होगी।

माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ‘डेटा और एआई के द्वारा कृषि में परिवर्तन नामक विशेष सत्र में माइक्रोसॉफ्ट के विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें श्री अजय छाबड़ा, श्री आलोक लाल, श्री अजित राधाकृष्णन, सुश्री सपना नौहरिया और श्री सप्तऋषि मंडल शामिल थे।

उन्होंने बहुमूल्य जानकारी साझा करते हुए कहा कि डेटा और एआई को अपनाने से कृषि में क्रांति आ सकती है। पैनल ने मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने, फसल की पैदावार बढ़ाने और समग्र उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए डेटा एनालिटिक्स और उपग्रह-संचालित अंतर्दृष्टि जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग पर चर्चा की। किसानों और अन्य उपस्थित लोगों को इन नवाचारों के व्यावहारिक अनुप्रयोगों से परिचित कराया गया, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि कैसे बेहतर संसाधन प्रबंधन और सटीक कृषि का उपयोग करके टिकाऊ कृषि पद्धतियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि को लेकर जो संभावनाएं पिछले कुछ समय में सामने आई हैं हम उनका लाभ किसानों तक जरूर पहुंचाएंगे।

सत्र में कृषि को और अधिक बेहतर, कुशल और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में एआई और डेटा की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला गया।