केंद्र की कृषि नीति किसानों के साथ विश्वासघात – जदयू

पटना, जनता दल यूनाईटेड ;जदयू  ने केंद्र सरकार पर किसानों को बदहाली की स्थिति में पहुंचाने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि अन्न उत्पादक किसान यदि खुद दाने.दाने को मोहताज हो जायें और अपने जीवन की बुनियादी जरूरतों के लिए भी आत्मनिर्भर न रह जायें तो इसका सीधा मतलब यही है की देश की कृषि नीति और कृषि व्यवस्था ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद और निखिल मंडल ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश का कृषि क्षेत्र एक भयावह दौर से गुज़र रहा है जिसमें किसान पूर्ण रूप से हाशिये पर चले गए हैं। देश के लिए अन्न उत्पादन करने वाले किसान यदि खुद दाने.दाने को मोहताज हो जायें और अपने जीवन की बुनियादी जरूरतों के लिए भी आत्मनिर्भर न रह जायें तो इसका सीधा मतलब यही है की देश की कृषि नीति और कृषि व्यवस्था ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है।
श्री प्रसाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब खाद्यान्नों के लागत मूल्य में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एमएसपी तय करने की बात कही गयी तो ये उम्मीद जरूर थी की इस नीतिगत बदलाव से किसानों की स्थिति सुधरेगी लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ;भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की वादाखिलाफी से यह स्पष्ट हो गया है की किसानों के मुद्दे को लेकर उनकी रूचि कभी थी ही नहीं और भाजपा कृषि क्षेत्र के विकास को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर किसानों के साथ धोखा हुआ है।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मध्यप्रदेश के मंदसौर में भाजपा सरकार प्रायोजित किसानों की हत्या के बाद भाजपा नेताओं के द्वारा यह दलील दी गई कि सरकार निर्णायक कदम उठाते हुए कर्ज माफ़ी की प्रक्रिया शुरू करेगी ताकि किसानों के ऊपर से आर्थिक बोझ कम हो सके। उन्होंने कहा कि हालांकि कल केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली के इस बयान से कि केंद्र सरकार का ऋण माफ़ी से कोई लेना देना नहीं है और यदि ऋण माफ करना भी हो तो इसके लिए पैसों के इंतज़ाम की जिम्मेवारी राज्य सरकारों की होगी ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार के लिए किसानों के मुद्दे कोई मायने नहीं रखते हैं।

 

 

 

 

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