पुणे, कश्मीर में हिंसा के बाद जिस तरह से सरकार ने पूरे मामले को संभाला उसको लेकर पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। शिंदे ने कहा कि केन्द्र सरकार पूरे मामले पर सिर्फ अपना पब्लिसिटी चाहती है। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की एनकाउंटर में हुई मौत का हवाला देते हुए पू्र्व गृहमंत्री ने कहा, अगर कोई आतंकवादी मारा जाता है तो इसे ये सार्वजनिक करने की क्या जरुरत है कि वह एक आतंकवादी था? देखिए घटना के बाद क्या हुआ कि बेवजह ही सैतालीस निर्दोष लोगों की जान चली गई। शिंदे ने आगे कहा कि जिस वक्त अफजल गुरू और अजमल कसाब को फांसी दी गई उसे समय इसे पूरी तरीके से गुप्त रखा गया था। लेकिन, ये मौजूदा केन्द्र सरकार पब्लिसिटी में यकीन करती है। उन्होंने कहा कि देखिए क्या हुआ जब 1993 मुंबई सीरियल बम विस्फोट के दोषी याकूब मेमन को फांसी दी गई। तब उसके शव को मुबंई से नागपुर लाया गया उस समय करीब पचास हजार लोग अंतिम संस्कार के वक्त इकट्ठा हो गए थे। शिंदे ने कहा कि समस्या सुलझने की बजाय और उलझ गया और कश्मीर में करीब चौबीस दिनों तक लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित रहा। ऐसे में सरकार को घाटी में प्रकाशित होनेवाले अखबारों और वहां के आम लोगों से बातें करनी चाहिए थी।