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केन्द्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का लिया फैसला

 

arun-jaitelyनई दिल्ली,  केन्द्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया है और बजट सत्र तय तारीख से पहले शुरु होगा. इसलिये अब हर साल अब एक ही बजट पेश होगा और वो भी 28 या 29 फरवरी के काफी पहले.

मोदी सरकार ने रेल बजट की 92 साल पुरानी परम्परा खत्म कर दी. अब  रेल बजट अलग से पेश नही होगा, बल्कि वो आम बजट का ही हिस्सा होगा. वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि 1924 में रेल बजट को अलग करने का फैसला विभिन्न जरुरतों के आधार पर हुआ था, लेकिन अब ऐसी जरुरतें नहीं रह गयी है. जेटली ने ये भी कहा कि आज के दिन में रक्षा और परिवहन जैसे कई क्षेत्रों का आकार रेलवे से कहीं बड़ा है, जबकि इनका बजट आम बजट में शामिल किया जाता है.

सरकार की दलील है कि रेलवे को आम बजट में मिलाए जाने से बेहतर व्यवस्था बन सकेगी और अनावश्यक के कामकाज से बचा सकेगा. हालांकि इस विलय के बावजूद वित्तीय मामलों में रेलवे को पूरी स्वायतता रहेगी और उनके विभिन्न अधिकारी अपने-अपने स्तर पर वित्तीय अधिकारों का पूरी तरह से इस्तेमाल कर सकेंगे. यही नहीं रेलवे के खर्चें उसी के संसाधन के जरिए पूरी किए जाएंगे. रेलवे को एक फायदा ये भी है कि उसे डिविडेंड नहीं देना होगा, यानी हर साल उसे करीब 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा.

साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सैद्दांतिक तौर पर तय किया है कि बजट सत्र तय समय से पहले बुलाया जाएगा.तारीख से एक महीने पहले पेश किये जाने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी।अब सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च तक बजट की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए इससे टैक्स के कानून और खर्चे 1 अप्रैल से आसानी से लागू किए जा सकेंगे.

इस प्रकार, अब बजट की तैयारियां अक्तूबर के प्रारंभ में ही शुरू हो जाएंगी। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अग्रिम अनुमान सात जनवरी को उपलब्ध होगा जो फिलहाल सात फरवरी को प्रस्तुत किया जाता है।

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