कैबिनेट मंत्री ने कहा, कुंभ के लिए करोड़ो मगर दिव्यांगो और विद्यालयों की परवाह नहीं….

प्रयागराज,  उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश तथा केंद्र सरकार कुंभ मेला के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर रही है लेकिन उसे दिव्यांगों और प्राइमरी विद्यालयों की कतई परवाह नहीं है।

राजभर ने  संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार उत्तर प्रदेश के बजट का एक बटा पांचवां हिस्सा कुंभ मेला पर खर्च कर रही हैए इतना ही ध्यान दिव्यांग और प्राथमिक विद्यालयों पर दिया जाता तो शायद उनकी तस्वीर आज कुछ और ही होती।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 से दिव्यांग विभाग बना है। उसके अधिकारियों के पास गाड़ियां नहीं है। प्रदेश में 75 जिले हैं जिनमें कुल 16 विद्यालय है। 10.10 मण्डलों में कोई विद्यालय ही नहीं हैए इनके बेहतरी के लिए धन मांगा जा रहा लेकिन इनके लिए सरकार के पास पैसा नहीं है।

राजभर ने कहा कि प्रदेश में एक लाख 59 हजार प्राथमिक विद्यालय है जिसमें एक करोड़ 77 लाख बच्चे गरीबों के पढ़ते हैं। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि कोई मां.बाप अपने बच्चे को वहां पढ़ने के लिए भेजना पसन्द नहीं करता। 40 साल पहले उसी विद्यालय से पढ़ने वाले बच्चे डाक्टरए इंजीनियरए मास्टर और कलेक्टर बनते थे। आज कौन सी वजह हैए क्यों शिक्षा का स्तर इतना गिर गयाए इस पर क्यों नहीं सरकार चिंतन करती। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि अगर वहां नेताए अमीरए अधिकारी के बच्चे पढ़ते तो लोगों का ध्यान जाताए वहां तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैंए इसलिए प्राथमिक विद्यालयों की कोई पूछ नहीं है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहाए ष्भारत पहले कृषि प्रधान देश था अब तो यह जाति प्रधान देश है। भाजपा और बसपा ने यह छह.छह महीने सरकार चलाने का प्रयोग किया था। उसी आधार पर हम चाहते हैं अब जातियाें की गोलबन्दी हो और क्यों नहीं यह छह.छह महीनों का समझौता कर लेती। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का सुधार कैसे होए इसपर चिंतन की जरूरत है। प्राथमिक विद्यालयों में तीन लाख 18 हजार पद शिक्षकों के खाली हैंए उसकी भर्ती कर अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था क्यों नहीं करते।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह न्यायालय के साथ हैं। जो मामला न्यायालय में विचाराधीन है तब उसी के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए। शहरों के नाम में बदलाव को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि नाम बदलने को लेकर खर्च की जा रही धनराशि जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं पर खर्च की जातीए तो देश के हालात में बदलाव आता। उन्होंने कहाए ष्जब भी गरीबों के सवाल पर हिस्से की बात करता हूं तो ये मंदिर की बात करते हैंए मस्जिद की बात करते हैं। हिंदू.मुसलमान की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा चाहते हैं।

Related Articles

Back to top button