नई दिल्ली, नोटबंदी के बाद उपजी स्थिति से निपटने और कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए सरकार द्वारा गठित मुख्यमंत्रियों और विशेषज्ञों की समिति ने सरकार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर सरकार अभी विचार कर रही है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
मीडिया रिपोर्टों में समिति की सिफारिशों से जुड़ी खबरें छपी थी। इनमें कहा गया था कि बैंक से 50 हजार रुपये से अधिक पैसा निकालने पर टैक्स लगाया जाए। वहीं आयकर कर के दायरे में आने वाले छोटे व्यापारियों को स्मार्ट फोन खरीदने के लिए 1,000 रुपये तक सब्सिडी देने की बात थी। इसी को लेकर सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। सरकार ने बुधवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर सरकार विचार-विमर्श कर रही है। अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार का कहना है कि सिफारिशों को अच्छी तरह जांचा और परखा जाएगा और एक समयावधि में इस पर निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के बाद उपजी स्थिति से निपटने और कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए सरकार ने छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित 13 सदस्यीय समिति का गठन किया था। आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू इस समिति के संयोजक थे। उनके अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, सिक्किम के पवन चामलिंग, पुद्दुचेरी के वी. नारायणसामी और महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस भी इसमें शामिल थे। मुख्यमंत्रियों के अतिरिक्त नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, सीइओ अमिताभ कांत, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलेकणि, बोस्टन कंसल्टिंग समूह के चेयरमैन जनमेजय सिन्हा, नेटकोर के प्रबंध निदेशक राजेश जैन, आई स्पिरिट के सह-संस्थापक शरद शर्मा और भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद में प्रोफेसर जयंत वर्मा इस समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य थे।