ढाका, बांग्लादेश की वनडे लीग में पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद हफ़ीज़ भी हिस्सा ले रहे हैं। वह ढाका प्रीमियर लीग (डीपीएल) में मोहम्मदन स्पोर्टिंग का हिस्सा हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हफ़ीज़ यह महसूस करते हैं कि क्रिकेट को अलविदा कहने के बावजूद, क्रिकेट के प्रति अपना योगदान देने के लिए उनके भीतर अभी बहुत कुछ बाक़ी है। यही वजह है कि उन्होंने डीपीएल में खेलने का फ़ैसला किया है।
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने डीपीएल खेलने के अपने फ़ैसले पर कहा कि वह इस खेल का भरपूर लुत्फ़ उठाने और दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित करने के लिए यह प्रतियोगिता खेल रहे हैं। पीसीएल के पिछले सीज़न के फ़ाइनल मुक़ाबले में प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे हफ़ीज़ ने कहा, “क्रिकेट को एंजॉय करने की मेरी चाहत ने मुझे डीपीएल खेलने के लिए प्रेरित किया है। मैंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ज़रूर ले लिया है, लेकिन अब भी मुझमें क्रिकेट को वापस देने के लिए बहुत कुछ बाक़ी है।” हफ़ीज़ ने आगे कहा कि युवाओं को इस खेल के प्रति प्रेरित करने की उनकी कोशिश है, ताकि वे उनसे कुछ सीख सकें। उन्होंने बताया, “मेरा हमेशा यही प्रयास होता है कि मैं हर किसी की मदद कर सकूं।”
दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ ने अपनी फ़िटनेस को लेकर कहा कि वे अपनी फ़िटनेस को लेकर हमेशा सजग रहते हैं। उनका पूरा ज़ोर इस बात पर होता है कि वे हर समय ख़ुद को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिहाज़ से फ़िट रख सकें। हफ़ीज़ ने कहा, “बीते कुछ वर्षों में मैंने वनडे क्रिकेट नहीं खेला है, लेकिन मुझे यह विश्वास है कि मैं इस फ़ॉर्मैट में अच्छा कर सकता हूं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए ज़रूरी फ़िटनेस लेवल के साथ हर दिन सामंजस्य बैठाने पर मेरा पूरा ज़ोर रहता है।”
हफ़ीज़ ने डीपीएल की अपनी फ़्रैंचाइज़ी मोहम्मदन स्पोर्टिंग के खेल वातावरण की तारीफ़ करते हुए कहा कि मोहम्मदन ने मेरे साथ काफ़ी स्वागत योग्य रवैया अपनाया। उन्होंने अपनी दयालुता का परिचय देते हुए कई चीज़ों को संभाला।
हफ़ीज़ के शानदार प्रदर्शन की वजह से लाहौर क़लंदर्स ने इस मर्तबा पीसीएल का ख़िताब अपने नाम किया। पीसीएल में लाहौर कलंदर्स की यह पहली जीत थी। अब डीपीएल में हफ़ीज़ उस फ़्रैंचाइज़ी का हिस्सा हैं, जो ख़ुद 2009-10 के सीज़न से अपनी पहली ट्रॉफ़ी का इंतज़ार कर रही है। हालांकि ट्रॉफ़ी के सूखे को ख़त्म करने की हफ़ीज़ और मोहम्मदन स्पोर्टिंग की राह आसान नहीं रहने वाली है। क्योंकि शाकिब अल हसन, मुश्फ़िकुर रहीम, मेहदी हसन मिराज़, तस्कीन अहमद और अबु जाएद जैसे खिलाड़ी टीम का हिस्सा नहीं हैं। यह सभी अभी दक्षिण अफ़्रीका के दौरे पर हैं।
डीपीएल में खेलने के अपने फ़ैसले पर बात करते हुए हफ़ीज़ ने मज़ाकिया लहज़े मे कहा कि इस लीग का बायोबबल से रहित होना डीपीएल में खेलने का एक कारण है। हफ़ीज़ ने कहा, “अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का यह भी एक कारण था। मैंने टीम के एक अधिकारी से बायोबल के बारे में पूछा था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘नहीं’। यह सुनने के बाद मैंने अपनी हामी भर दी।”
हफ़ीज़ ने आगे कहा कि वह इस देश के मुस्लिम संस्कृति का हिस्सा रहना चाहते हैं। वह मनमर्ज़ी से घूमना चाहते हैं। क्रिकेट के साथ-साथ इस देश में बिताए गए समय का वह भरपूर आनंद लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “बायोबबल आपको मानसिक तौर पर काफ़ी प्रभावित करता है। इस लीग में हर किसी के पास थोड़ा अधिक लुत्फ़ उठाने का मौक़ा होगा। अंत में हम सभी इंसान हैं। इंग्लैंड में क़रीब ढ़ाई महीने हमें बिना अपने परिवार के गुज़ारने पड़े। एक नियंत्रित वातावरण में रहते हुए आप ख़ुद के मनुष्य होने का एहसास नहीं कर पाते। हर किसी को थोड़ी आज़ादी की दरक़ार होती है, अब हम कोविड में जीना भी सीख चुके हैं।”
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी सीरीज़ पर भी हफ़ीज़ अपनी नज़र बनाए हुए हैं। उनकी राय में पाकिस्तानी टीम को जीत की मानसिकता के साथ क्रिकेट खेलनी चाहिए। हफ़ीज़ ने इस सीरीज़ के विषय में कहा, “अब तक खेली गई इस श्रृंखला में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ज़्यादा बेहतर इंटेंट का प्रदर्शन दिखाया है। आपको जीत की मानसिकता के साथ खेलना होगा। कोई ड्रॉ टेस्ट मैच नहीं देखना चाहता। प्रशंसक परिणाम चाहते हैं। यही वजह है कि क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप टी20 में सुपर ओवर का प्रावधान रखा गया है। ड्रॉ के साथ आगे बढ़ना मुनासिब नहीं है।”
हफ़ीज़ ने आगे कहा, “हम सभी चाहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट, क्रिकेट का नंबर एक प्रारूप हो। मुझे पिच पर तेज़ गेंदबाज़ों या स्पिनरों को मिलने वाली मदद से किसी तरह का ऐतराज़ नहीं है। लेकिन परिणाम आना चाहिए। मैं खुद भी टेस्ट क्रिकेट का बड़ा प्रशंसक हूं। इसलिए जब आपको पहले दिन ही मैच के ड्रॉ होने का आभास हो जाता है, तो अधिक बुरा लगता है। क्योंकि तब खेल में कोई उत्साह ही नहीं बचता।”