गाजियाबाद, एक बहुत पुरानी कहावत है कि ‘पूत के पांव पालने में दिखाई दे जाते है।’ दोस्तों कहा जाता है कि जब इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है तो मंजिल दूर नहीं होती। ऐसा ही कुछ गाजियाबाद के एक छोटे से गांव सिरौली में एक किसान परिवार में जन्मे मोहित बैसला नामक युवक ने गाजियाबाद से निकलकर बॉलिवुड में अपना नाम और कामयाबी हासिल की है। यंू तो मोहित बैसला को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है, लेकिन इसके चलते स्कूल और कॉलेज के ड्रामे में भी मोहित हमेशा बढ़चढ़ कर हिस्से लेते रहे है।
लेकिन जब इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने 2010 में घर वालों के लाख समझाने और मना करने के पश्चात भी दिल्ली आने और तीन साल ‘बेला थियेटर’ और एक साल ‘घरसता इंडिया’ के साथ थियेटर में भाग लिया। इसी दौरान मोहित ने दिल्ली सहित कई अलग-अलग राज्यो में बहुत से प्ले किए।
उनमें से कुछ प्ले के नाम हैं जैसे ‘अषाड़ का एक दिन’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘गांधी और ओडिपय’ फिर 2014 में मोहित बैसला मुंबई चले गए और वहां जाकर देखा कि फिल्मी दुनिया देखे हुए सपनों से बिल्कुल अलग है लेकिन अपने सपनों को पूरा करने की जिद के चलते उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते रहे और एक दिन वो वक्त आ ही गया जिस दिन का उनको इंतजार था और उनका सपना पूरा हुआ और मोहित को एक फिल्म में काम मिल गया जिसका नाम है, जो जल्द ही सभी सिनेमाघरों में लगेगी।
इस फिल्म के बाद से उन्होंने बॉलीवुड में अपनी एक पहचान बनाई। मोहित बंैसला से बात करने पर पता चला कि वो तीन और बड़ी फिल्में कर रहे हैं जिनकी शूटिंग जल्द ही शुरू हो। इस बात से ये अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। इस बात का पता जब उनके पैतृक गांव सिरौली व आसपास गांव के लोगों को लगी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।