गुजरात मे रैली से घर लौट रहे दलितों की पिटाई, पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप
August 16, 2016
अहमदाबाद, गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के उना शहर में एक प्रदर्शन रैली से घर लौट रहे 20 दलितों के एक समूह पर समतर गांव के पास भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें आठ दलित गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना कल शाम करीब पांच बजे हुई। पुलिस ने भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हल्का लाठी चार्ज भी किया। हालांकि पीड़ितों का दावा है कि पुलिस ने उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया। पीड़ितों का दावा है कि हमलावर समतर गांव के निवासी हैं। वे लोग पिछले महीने उना में दलितों की पिटाई करने की घटना को लेकर गिरफ्तार हुए 12 लोगों का बदला लेना चाहते थे।
आज की घटना के 20 पीड़ित भावनगर जिले के हैं और वे साइकिल तथा बाइक से अन्य लोगों के साथ उना गए थे। ये लोग जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की उपस्थिति में रोधिका वेमुला और बालु सरवैया द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। राधिका वेमुला, हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आत्महत्या करने वाले दलित छात्र की मां हैं जबकि बालु उना में पिटाई झेलने वाले दलितों में से एक के पिता हैं। भीड़ ने उना-भावनगर रोउ पर उन्हें समतर के पास रोका और उनकी पिटाई की। यह जगह मोटा समधिया गांव से ज्यादा दूर नहीं है, जहां पिछले महीने गौ-रक्षकों ने सात दलितों की बुरी तरह पिटाई की थी। गिर सोमनाथ पुलिस नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने कहा, समतर में आज शाम पुलिस ने हिंसक भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। जब उन्होंने भागने से इनकार कर दिया, तो लाठी चार्ज भी किया गया। हमला झेलने वाले मावजीभाई सरवैया का आरोप है कि उनपर समतर गांव के लोगों ने हमला किया। उन्होंने कहा, उना दलित पिटाई कांड में अभी तक गिरफ्तार 30 लोगों में से 12 लोग समतर के रहने वाले हैं। यह उना से 11 किलोमीटर दूर स्थित है। मेरे सहित करीब 200 दलित बाइक से उना रैली में शामिल होने आए थे। जब हम लौट रहे थे, समतर के निवासियों ने सड़क अवरूद्ध किया बौर बेरहमी से हमें पीटा। मावजीभाई ने कहा, हालांकि पुलिस बल वहां था, लेकिन हमलावरों के मुकाबले वे बहुत कम थे। वे लोग उनके 12 लोगों की गिरफ्तारी के लिए हमें जिम्मेदार ठहरा रहे थे। कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से आठ को गंभीर चोटें आयी हैं। घायलों को भावनगर और राजुला के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हमारी एक बाइक को आग भी लगा दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि हमले के वक्त पुलिस ने उनकी मदद नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया, यह योजनाबद्ध हमला था, क्योंकि सभी वैकल्पिक सड़कें भी अवरूद्ध थीं। हमपर पुलिस की मौजूदगी में हमला हुआ। जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी, तब पुलिस ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागे। बार-बार प्रयास के बावजूद पुलिस का कोई शीर्ष अधिकारी प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं था।