चुनाव आयोग ने मांगी नौ सौ बसें, गाड़ियों की धरपकड़ में आरटीओ के छूटे पसीने

election-commissionलखनऊ, चुनाव आयोग ने वाहनों की कमी को देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) से 900 अतिरिक्त बसें मांगी है। आयोग ने चुनाव की घोषणा के पहले रोडवेज से तीन हजार बसों की मांग की थी। रोडवेज की ये बसें आठ मार्च के बाद वापस होंगी। रोडवेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिजर्व पुलिस बल, यूपी पुलिस के जवान और होमगार्डों को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने के लिए गाड़ियों की कमी पड़ गई है। इस कमी को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने परिवहन विभाग से गाड़ी के इंतजाम करने के आदेश दिए थे।

आयोग के आदेश पर गाड़ियों की धरपकड़ करने में आरटीओ के पसीने छूट गए। इसके बावजूद गाड़ी की कमी पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में चुनाव आयोग ने वाहनों की कमी को देखते हुए परिवहन निगम से 900 बसें और मांगी है। अधिकारी ने बताया कि चुनाव की तारीख की घोषणा के पहले चुनाव आयोग ने परिवहन निगम को एक पत्र भेजकर तीन हजार बसों की मांग की थी। इन बसों को अगल-अलग तारीखों में भेजना था। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर के विभिन्न बस डिपो से जिला चुनाव निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर बसें उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा गाड़ियों के इंतजाम के लिए परिवहन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई। परिवहन आयुक्त ने गाड़ियों की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी हर जनपद के आरटीओ को दी है। चुनाव में गाड़ी उपलब्ध कराने में आरटीओ के पसीने छूट गए। लिहाजा वाहनों की धरपकड़ के लिए मोटर मालिकों के पीछे-पीछे पूरा महकमा घूमता रहा और वाहन नहीं मिल सके। अधिकारी ने बताया कि चुनाव में भेजी गई रोडवेज की बसें आठ मार्च के बाद लौटेंगी। तभी पटरी से उतरी रोडवेज बसों की सेवा आम जनता को मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि जिन-जिन रूटों पर सवारियों की संख्या कम थी। उन रूटों पर बसों की संख्या कम कर दी गई, जिससे यात्रियों को बसों की कमी का अहसास न हो।

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