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चोट को बाधा नहीं, चुनौती मानती हूं- दीपा करमाकर

नई दिल्ली,  52 साल बाद ओलम्पिक खेलों में पहली भारतीय जिमनास्ट बनकर इतिहास कायम करने वाली दीपा करमाकर का कहना है कि एक एथलीट होने के नाते चोट लगना निराशानजनक हैं, लेकिन वह इसे बाधा नहीं, बल्कि चुनौती मानती हैं। घुटने की चोट के कारण वर्तमान में रिहेबिलिटेशन से गुजर रहीं भारतीय जिमनास्ट दीपा ने  संवाददाताओं से यह बात कही। वर्तमान में दीपा अपने कोच बिश्वेश्वर नंदी के साथ इंधिरा गांधी स्टेडियम में जारी राष्ट्रीय शिविर में अपनी फिटनेस पर काम कर रही हैं। उन्हें इस साल अप्रैल में प्रशिक्षण सत्र के दौरान चोट लगी थी।

दीपा ने  संवाददाताओं से एक बयान में कहा, चोट के मामले में आप कुछ नहीं कर सकते। एक एथलीट होने के नाते यह बात निराशाजनक है, लेकिन मैं इसे बाधा करार नहीं दूंगी। हां, यह एक चुनौती है। दीपा ने हालांकि, फिर से चलना-फिरना शुरू कर दिया है, लेकिन छह माह के रिहेबिलिटेशन को पूरा किए बगैर वह प्रशिक्षण शुरू नहीं कर सकतीं। पिछले साल रियो ओलम्पिक में प्रतिस्पर्धा के बाद से दीपा खेल जगत से बाहर हैं और वह इस साल की शुरुआत में एशियाई चैम्पियनशिप में भी हिस्सा नहीं ले पाई थीं।

घुटने की चोट के कारण वह विश्व चैम्पियनशिप से भी बाहर रहेंगी, जिसका आयोजन अक्टूबर में कनाडा में होगा। जिमनास्ट में खिलाड़ियों का करियर अधिक लंबा नहीं होता। इस बारे में दीपा ने कहा कि वह उजबेकिस्तान की 42 वर्षीया जिमनास्ट ओस्काना चुसोवितिना का अनुसरण करती हैं, जिन्होंने रिकॉर्ड सात बार ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया है। दीपा ने कहा, 2016 ओलम्पिक खेलों में उजबेकिस्तान की 42 वर्षीया जिमनास्ट ने हिस्सा लिया था। उन्होंने सात बार ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया है, अगर वह कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं? कोच नंदी ने दीपा की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, हमारी पहली प्राथमिकता 2020 टोक्यो ओलम्पिक में प्रवेश करना है और इसके साथ-साथ हमारी नजर एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों पर भी है।