चौरी चौरा कांड में 170 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। बाद में ऊंची अदालत ने 19 लोगों की ही फांसी बरकरार रखी। फांसी पाने वाले अधिकतर दलित-पिछड़ी जातियों के थे। वकील मदनमोहन मालवीय को जिन लोगों को फांसी से बचाने का श्रेय दिया जाता है, मुझे उनके नाम और उनकी सामाजिक स्थिति जाननी है।
चौरा- चौरी कांड में फाँसी तथा जेल की सजा पाने वाले कई क्रान्तिकारी दलितों के नाम मिल चुके हैं:फांसी 1- सम्पति चमार- थाना- चौरा, गोरखपुर, धारा 302 के तहत 1923 में फांसी
2- अयोध्या प्रसाद पुत्र महंगी पासी- ग्राम -मोती पाकड़, जिला, गोरखपुर , सजा – फाँसी
3- कल्लू चमार, सुपुत्र सुमन – गाँव गोगरा, थाना झगहा, जिला गोरखपुर, सजा – 8 साल की कैद
4 – गरीब दास , पुत्र महंगी पासी – सजा धारा 302 के तहत आजीवन कारावास
5- नोहर दास, पुत्र देवी दीन- ग्राम – रेबती बाजार, थाना चौरा-चौरी गोरखपुर, आजीवन कारवास
6 – श्री फलई , पुत्र घासी प्रसाद- गाँव- थाना चौरा- चौरी , 8साल की कठोर कारवास !
7- बिरजा, पुत्र धवल चमार- गाँव – डुमरी, थाना चौरा चौरी , धारा 302 के तहत 1924 में आजीवन कारवास
8- श्री मेढ़ाइ,पुत्र बुधई- थाना चौरा, गोरखपुर, आजीवन कारवास.
फेसबुक पर महेन्द्र यादव की वाल से साभार