छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में आदिवासियों ने सुरक्षाबल के जवानों पर कथित रूप से यौन प्रताड़ना और मारपीट के आरोप लगाए हैं. पेद्दारास गाँव में अर्ध सैनिक बलों नें आदिवासी महिलाओं पर हमला किया .ग्रामीणों का आरोप है कि सिपाहियों नें आदिवासी महिलाओं के स्तन निचोड़ कर यह जांच करी कि वे आदिवासी महिलायें शादी शुदा हैं कि नहीं . यहां यह आम धारणा है कि जो आदिवासी लडकियां शादी नहीं करती हैं वो नक्सली होती हैं .सुरक्षाबल के जवानों की मारपीट से कई लोग घायल भी हुए हैं. सुकमा ज़िले के कुन्ना पेद्दापारा गांव की आदिवासी महिलाओं का आरोप है कि गांव में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल और आत्मसमर्पण कर चुके माओवादियों का दल पहुंचा और महिलाओं को प्रताड़ित किया. पीड़ित महिलाओं ने अपनी शिकायत में कहा है कि एक महिला के पति और बच्चे को जब सुरक्षाबल के जवान अपने साथ गादिरास स्थित पुलिस कैंप में ले गए तो पीड़िता ने पुलिस से निवेदन किया कि उनका दुधमुंहा बच्चा है, पति और बच्चे को न ले जायें. आरोप है कि सुरक्षाबल के जवानों ने स्तन से दूध निकाल कर दिखाने को कहा और बाद में एक सिपाही ने कथित रूप से आदिवासी महिला के स्तन से दूध निचोड़ कर देखा.पीड़ितों ने कई महिलाओं को निर्वस्त्र करने और उनके साथ यौन दुर्व्यवहार किए जाने के आरोप भी लगाए हैं.एक पत्रकार वार्ता में आदिवासी महिलाओं नें खुद के साथ हुए सरकारी ज़ुल्म की बात बताई.
ग्रामीणों की शिकायत के बाद बस्तर के कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच के लिए बस्तर के आईजी पुलिस, सुकमा के कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखा है. हालांकि बस्तर के आईजी पुलिस एसआरपी कल्लुरी का कहना है कि जब भी सुरक्षाबल अपने ऑपरेशन तेज़ करते हैं तो माओवादियों के समर्थक इस तरह के झूठे आरोप लगा कर पुलिस को बदनाम करने की कोशिश में जुट जाते हैं.