लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने मंगलवार को कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका,विधायिका और कार्यपालिका की अपनी भूमिकाएं होती हैं लेकिन जनता से विधायक का सीधा संपर्क होने के कारण उसके प्रति सबसे बड़ी जवाबदेही विधायक की ही होती है।
सतीश महाना ने कहा कि जनता जिसे चुन कर विधानसभा भेजती है तो उसका अपने विधायक से सवाल करने का भी अधिकार होता है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में विधायिका के प्रति नकारात्मक धारणा बनाई गयी। जिसे बदलने का प्रयास वह कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि जनता इस बात को समझ सके कि उसके क्षेत्र के विधायक की विधानसभा में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उन्होंने कहा “ पिछले कई वर्षो से जनता का विधानसभा से कभी कोई सम्पर्क ही नहीं बना, उसे भी दूर करने का प्रयास कर रहा हूं। जिससे वह अपने विधायक की भूमिका को जान सकें। धीरे धीरे अब जनता को इस बात का अहसास होने लगा है कि लोकतंत्र में विधायिका की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। अब वह अपने विधायक की भूमिका को जान रही है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से आम जनमानस में विधायिका के प्रति नकारात्मक धारणा खत्म होती दिख रही है।”
विधानसभा भ्रमण पर आये प्रधानाचार्यों के सवालाें का जवाब देते हुये सतीश महाना ने कहा कि नियमों के तहत ही कोई सदस्य सदन में बोल सकते हैं। इसके अलावा अब विधानसभा में विधायकों के सवालों को ऑनलाइन किए जाने की व्यवस्था की गयी हैं। सदन में उठाए गए मामले संबंधित विभाग को तुरंत भेजे जाते है। पर पहले ऐसे मामलों में उदासीनता देखने को मिली थी। यहीं नही विधानसभा में उठाए गए मामलों को संबंधित समितियों को भेजा जाता है जिससे जनहित में उन शासन कार्रवाई करता है।
सतीश महाना ने प्रधानाचार्य को विधानसभा के गौरवमयी इतिहास, सदन की कार्यवाही, संचालन एवं पुस्तकालय आदि के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आप लोग यहां से जाकर छात्र छात्राओं को इसके बारे में बताए। यहीं नहीं उन सबको यहां भ्रमण कराने का कार्य करें जिससे वह अपनी विधानसभा पर गर्व कर सकें।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के आमंत्रण पर उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के तत्वावधान में प्रधानाचार्यों के दल में 30 प्रधानाचार्य शामिल थे जिसमें 10 महिला प्रधानाचार्य भी शामिल थी।