लखनऊ, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में गुंडागर्दी के बल पर जनमत का अपमान करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश की जनता विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने को बेकरार है।
श्री यादव ने पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रविवार को कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन के दम पर चुनाव जीतने के लिये भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की मर्यादा का भी मान नहीं रखा। सपा प्रत्याशियों के नामांकन पत्र फाड़ दिये गये। भाजपा के नेताओं,कार्यकर्ताओं और पुलिस अधिकारियों ने उनकी पिटाई की। यहां तक कि पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया। भाजपा विधायक की मौजूदगी में पुलिस अधिकारी को सरेआम तमाचा मार कर बेइज्जत किया गया।
उन्होने कहा कि इन चुनावों में सपा की हार नहीं हुयी है बल्कि जनमत का अपमान हुआ है और जनता के आगे भाजपा कुछ भी नहीं है। यही जनता भाजपा की तानाशाह सरकार को अगले विधानसभा चुनाव में सबक सिखायेगी।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता के चुनाव में प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य सबसे ज्यादा सपा के प्रत्याशी जीते लेकिन उन्हे मताधिकार से वंचित किया गया। पुलिस अधिकारी नामांकन पत्र फाड़ने में ही व्यस्त रहे। हमारे कार्यकर्ताओ के हाथ पांव तोड़े गए। उन्हे फर्जी मुकदमे लगा कर जेल भेजा गया। यहां तक कि महिला प्रत्याशियों का सरेआम अपमान किया गया। उनके कपड़े फाड़े गये। लोकतंत्र में ऐसा नंगा नाच आज तक कभी नही हुआ।
उन्होने कहा कि लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने के बाद भाजपा के बड़े नेता और यहां तक मुख्यमंत्री एक दूसरे को लड्डू खिलाकर बधाई दे रहे है। चुनाव सकुशल सम्पन्न कराने का दावा कर कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं को बधाई दे रहे है। वास्तव में उन्हे बधाई जिलाधिकारियों और पुलिस प्रमुखों को देनी चाहिये जिनके दम पर भाजपा यह चुनाव जीती है।
श्री यादव ने कहा कि उन्होने अपने राजनीतिक जीवन में कभी गुंडा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया मगर जिस तरह जनमत का मजाक उडाया गया, उससे क्षुब्ध होकर वह इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने गृहनगर गोरखपुर में गुंडई का प्रयोग किया जिसके बाद पूरे प्रदेश में गुंडागर्दी चरम पर रही। भारतीय जनता पार्टी से बड़ी गुंडा पार्टी कोई नही है।
उन्होने कहा कि ऐसे पुलिस अधिकारी और जिला प्रशासन के लोग जो भाजपा कार्यकर्ता की तरह चुनाव में अपनी भूमिका निभा रहे थे। उनकी सूची बनकर तैयार है और उनकी सरकार आते ही ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
श्री यादव ने कहा कि कोविड के कठिन समय में योगी सरकार जनता की मदद करने में पूरी तरह विफल रही। आक्सीजन,बेड और दवा के अभाव में कई लोगों की जान चली गयी। दवा और इंजेक्शन की काला बाजारी जम कर हुयी। इसके बाद भी सरकार कोरोना से हुयी मौतों का आंकड़ा नहीं देना चाहती। पंचायत ड्यूटी में कोरोना से संक्रमित हुये कई कर्मचारी और शिक्षक जान गंवा बैठे और सरकार ने सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत को माना मगर उनकी पार्टी और अन्य कर्मचारी संगठनो के दवाब में सरकार को स्वीकार करना पड़ा कि कोरोना से हुयी मौते कहीं ज्यादा थी।