पेड़ू मतलब लॉवर एब्डोमेन, यह किसी भी महिला को वो हिस्सा जहां अक्सर महिलाओं का दर्द रहता है। लेकिन कभी-कभी यह दर्द असहनीय हो जाता है। इतना असहनीय की उन्हें चलने-फिरने में भी दिक्कत होने लगती है और अगर यही दिक्कत अगर विकराल रूप ले ले तो ऑपरेशन तक की नौबत आ जाती है। लड़कियां जैसे ही यौवन अवस्था में अपना कदम रखती है वो शि दर्द को महसूस करती हैं। लॉवर एब्डोमेन में दर्द उनकी हमेशा रहने वाली दिक्कतों में से एक होता है। लेकिन अगर यह दर्द छह महीने तक लगातार बना रहता है तो इसे इग्नोर करना सही नहीं है। हमारे देश में करीब 20 प्रतिशत युवतियां इस दर्द की शिकार हैं। लेकिन इस दर्द का कारण सिर्फ बाल्यावस्था से यौवन काल में प्रवेश करना ही नहीं बल्क कुछ और कारण भी इस दर्द को बढ़ावा देते हैं। समय के साथ-साथ पेड़ू में होने वाले दर्द के प्रकार में बदलाव आएं हैं। जिस वजह से डॉक्टरों को भी इसका सही कारण पता लगा पाने में दिक्कतें आ रही है। कभी-कभार ब्लैडर के फैलाव, आंतों में दिक्कत, डिंबवाही नलिका में अगर को गड़बड़ी चल रही हो तो अक्सर पेड़ू में दर्द शुरू हो जाता है। प्रमुख कारणः पेल्विक (पेड़ू) क्षेत्र में दर्द होने का एक प्रमुख कारण अंडाशय (ओवरी)से संबंधित है। ओवरी में कुछ ऐसी रक्तवाहिनियों (ब्लड वेसेल्स) होती हैं, जो सही ढंग से कार्य न करते हुए रक्त को जमा देती हैं। यह स्थिति ऐसी ही होती है जैसे पैरों में वेरीकोज वेन की समस्या का होना, लेकिन पेल्विक कॅन्जेशन सिंड्रोम की समस्या से गर्भाशय को क्षति पहुंच सकती है।
क्या होता है पेल्विक कॅन्जेशन सिंड्रोम:- शरीर में कई रक्तवाहिनियां होती हैं, जिनमें छोटे-छोटे वाल्व होते हैं जो रक्त को रक्त प्रवाह की सही दिशा में पहुंचाते हैं ताकि रक्त हृदय तक पहुंचता रहे। वाल्व उस छोटे से दरवाजे की तरह होते हैं, जो रक्त के प्रवाह होते ही बंद हो जाते हैं ताकि रक्त विपरीत दिशा में न बह सके, लेकिन जब रक्त वाल्व में ही जमा हो जाता है और एक सामान्य प्रक्रिया की तरह प्रवाहित नहीं हो पाता है और पेल्विक भाग में भी जब ऐेसी रक्तवाहिनियों का जमावड़ा हो जाता है, तो उसे पेल्विक कॅन्जेशन सिंड्रोम कहा जाता है। लगभग 20 से 50 वर्ष की महिलाओं में पेल्विक कॅन्जेशन सिंड्रोम हो सकता है।
क्या है पेल्विक कॅन्जेशन सिंड्रोम का इलाज:- आधुनिक उपचारः इस मर्ज का पता लगने के बाद इंटरवेंशनल रेडियोलोजी की मदद से इस रोग का उपचार आसानी से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में मरीज को बेहोश नहीं किया जाता और महिला को अस्पताल में केवल एक ही दिन रुकना पड़ता है। प्रक्रिया के बाद अधिकतर महिलाएं उसी दिन शाम को घर लौट जाती हैं। शीघ्र ही वे सामान्य रूप से कार्य करने लगती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एक इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट त्वचा पर एक अति सूक्ष्म छिद्र करके पेट के निचले हिस्से से नली (कैथेटर) डालकर एंजियोग्राफी करता है। फिर वेन (शिरा) तक छोटा क्वायल डाला जाता है, जो अक्सर पैरों में वेरीकोज वेन की समस्या को ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। उस क्वायल से वेरीकोज वेन को सील कर दिया जाता है।